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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

चन्द्रमा कूल ग्रह है फिर भी क्यों देते हैं टेंशन-डिप्रेशन

हमारी जिन्दगी में टेंशन, डिप्रेशन, एंजाइटीएन्सियसनेस और इमपेंशननेश ने लगातार अपनी जगह बहुत ही अच्छे से बना ली है। हम खुशियों को बढ़ाने की जगह आजकल स्ट्रेश मैनेज करने में लग गए हैं और इससे स्वीकार कर लिया गया है कि ये तो जिन्दगी का हिस्सा है। ब्लडप्रेशर की बीमारी और डाइबिटीज की बीमारी 40-45 प्लस आते-आते एक तरह से हमारी जिन्दगी का सबसे अहम हिस्सा बन गई है। जिस जगह हमें प्रकृति से जुडऩा चाहिए था उसी जगह टेबलेट्स ने अपनी प्रकृति बना ली है। कारण यह कि इन ओरगेनिक लाइफ लगातार बढ़ती चली जा रही है और जो ओरगेनिक क्लचर था यानि सीधा प्रकृति से जुड़ाव था वो लगातार दूर होता चला जा रहा है। हम जब ज्योतिषीय सिद्धांतों की बात करते हैं, ज्योतिष विज्ञान की बात करते हैं तो चन्द्रमा को मन का कारक कहा गया है। यजुर्वेद की एक श्लोक में कहा भी कहा गया कि चन्द्रमा मनसो जात। चक्षुर्सूर्यो अजायत। श्रुत्वाद्वायस मुखार्दग्नि जायत। जो बीमारियां पर्यावरण से हमें मिल रही थी वो शारीरिक रूप से कष्ट दे रही थी, लेकिन जो मन के कारक हैं चन्द्रमा उनके द्वारा जो एक हमारा कनेक्शन एस्टेबलिस होना चाहिए था वो कनेक्शन जब एस्टेबलिस नहीं होकर आर्टिफिशियल लाइफ से जब कनेक्शन एस्टेबिलिस होने लगा तो हमारे मन की बीमारियां बहुत हद तक बढऩे लग गई और उनकी वजह से ये टेंशन, डिप्रेशन, आर्थेराइटेस और इसके अलावा ब्लड प्रेशर और डाइबिटिज जैसी बीमारियों ने जगह कर ली। किसी भी व्यक्ति को जब डॉक्टर के द्वारा यह पूछा जाता है कि आपको ब्लड प्रेशर हो चुका है और इसके बाद में ये गोली ही लेना इलाज है इसके अलावा आप कुछ भी नहीं कर सकते। जब यह कहा जाता है तो वह व्यक्ति बड़ी आसानी से स्वीकार कर लेता है और उस टेबलेट को अपनी पूरी जिन्दगी में शुमार करके रख कर देता है। कभी ये सोचने की कोशिश नहीं की कि इनके पीछे वजह क्या थी। हालांकि डिफाल्ट एप्रोच जो उसको पता है किस वजह से है। वो है तनाव। ब्लड प्रेशर किस वजह से आता है जब आप तनाव लेना शुरू करते हैं और ये तनाव आज से सौ साल पहले भी था, दो सौ साल पहले भी था, पचास साल पहले भी था और आज भी है। लेकिन उस समय व्यक्ति प्रकृति से हील होता था, नेचर से हील होता था। आज के समय जब उसने कनेक्शन स्टेबलिस करना छोड़ दिया प्रकृति से तो पूर्ण रूप से इस ओरगेनिक लाइफ ने हमारी जिन्दगी के ऊपर मानसिक बीमारियों के रूप में प्रभाव डाला। अब इसका उपाय क्या है। चन्द्रमा जनित ये जो स्थितियां पैदा हुई, चन्द्रमा प्रकृति को पोषित करने वाले एक ऐसे ग्रह हैं जिनकी वजह से सारी की सारी वनस्पतियां लगातार विकासशील होती है। जब कृष्ण पक्ष में आप एक पौधा उगाते हैं और शुक्ल पक्ष में एक पौधा या वनस्पति उगाते हैं तो निश्चित रूप से शुक्ल पक्ष में उगने वाले पौधे की रफ्तार बहुत ही अधिक और तीव्रगामी होती है जो समुद्र में ज्वारभाटा आता है उसका भी शत-प्रतिशत कारण बनते हैं चन्द्रमा। ये साइंटिफिकली पूर्ण एप्रोच है। हमारे शरीर में 72 प्रतिशत पानी है उसके ऊपर निश्चित रूप से प्रभाव डालते हैं चन्द्रमा। तो आप इस तरह मन के कारक चन्द्रमा हमारे शरीर के ऊपर, मन पर, आत्मा पर निश्चित तौर पर काफी हद तक प्रभाव डालते हैं, कारण ये कि आत्मा, चित्त और मन निश्चित तौर पर जुड़े हुए हैं क्योंकि ज्योतिष में आत्मा का कारक माना गया है सूर्य को और मन का कारक माना गया है चन्द्रमा को। दोनों को सैक्रिग्रेट करके देखने की आवश्यकता है। लेकिन जब शरीर, मन और बुद्धि को जोड़कर देखा जाता है तो वही एमिगिनेशन हमारे इस शारीरिक रूप में सामने आता है। अब प्रकृति से वापस कनेक्शन एस्टेबलिस कैसे किया जाए यदि आप गौर करें तो शरद पूर्णिमा पर बहुत लम्बे समय से खीर बनाने की  खीर को चन्द्रमा की रश्मियों के सामने रखकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की एक परम्परा-सी रही है। और पुराने बुजुर्ग तो आज भी कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की रश्मियों में जरूर बैठना चाहिए। प्रकृति के बीच में कुछ समय जरूर निकालना चाहिए और प्रत्येक पूनम को खीर निश्चित रूप से बनानी चाहिए और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। जिससे चित्त में शीतलता का वास होता है। कूल एंड कामनेस आती है, लेकिन इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हमने ये सारी चीजें अपनी जिन्दगी से दूर हटा ली और सिर्फ और सिर्फ एक आर्टिफिशियल लाइफ की तरफ बढ़ते चले गए हमें मालूम है कि आगे जाकर ये शरीर जवाब देगा ही देगा। मन सिक होगा और मानसिक बीमारियों के रूप में ये सारी की सारी स्थितियां हमारे भीतर घर करती चली जाएगी। लेकिन इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हमने सोचने का, पीछे मुड़कर देखने का मौका ही नहीं दिया एक तरह से टेबलेट को हमारे जिन्दगी में स्वीकार कर लिया गया। लेकिन यदि आज भी यदि हम मन को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो कुछ समय प्रकृति के बीच में गुजारना चाहिए। शुक्ल पक्ष में निश्चित तौर पर जब प्रदोष के बाद में यानि तेरस के बाद में चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं की ओर अग्रसर होते हैं तब निश्चित तौर पर इनकी रश्मियों के बीच में आपको समय गुजारना चाहिये जिससे मन संबंधित बीमारियां काफी हद तक हील होने लगती है। इस भूमि के सीधा टच में आना चाहिए जिससे कि काफी हद तक ब्लड प्रेशर और डाइबिटिज जैसी बीमारियों से रिलीफ मिलता है। चन्द्रमा और मंगल जब ये दोनों स्थितियां मिलती है तो व्यक्ति के शरीर में ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियां उत्पन्न होने लगती हैं। लेकिन आप किसी और उपाय को करने के वनस्पित यदि नेचर से हील करना शुरू करते हैं तो निश्चित तौर पर बेनिफिट होता ही होता है। आपको प्रकृति के बीच में वक्त गुजारना चाहिए। चांदी के आभूषण जो कि महिला धारण किया करती थी, खासकर पांवों के अन्दर जब खनखनाहट रहा करती थी पायल के द्वारा। चांदी में खनखनाहट भी है। चन्द्रमा जिस तरह चंचल है, उसी तरह रजत धातु यानि सिल्वर। चन्द्र इसमें भी खनखनाहट है और व्यक्ति निश्चित तौर पर इससे कहीं-न-कहीं अपने शरीर को, मन को, चित्त को बेनिफिट वाली स्थितियों के अन्दर लेकर आता है। मैं एक फैक्ट आपको और बताऊं। जितने भी आयुर्वेदिक औषद्यालय है वो पुष्य नक्षत्र के समय आयुष विभाग जो चल रहा है वो पुष्य नक्षत्र के समय एक दवाई बच्चे के स्वस्थ होने के लिए उसके आयुषी की कामना के लिए पिलाता है और काफी हद तक वो उसके एम्युन को मजबूत करता है। यदि ये सवाल खड़ा किया जाए कि पुष्य नक्षत्र के दिन ही क्यों? उस समय ही दवाई क्यों पिलाई जाए? तो कहते हैं साब इस निश्चित अवधि के ऊपर पिलाई गई दवाई व्यक्ति के शरीर में ज्यादा हद तक बेनिफिट करती है। यानि प्रकृति से सीधा कनेक्शन एस्टेबलिस करता है आयुर्वेद और वो भी समय मुहुर्त विज्ञान और नक्षत्रों की इस कुलकुलेशन को निश्चित तौर पर मानता है। हम इसे अपने जिन्दगी से दूर नहीं लें चन्द्रमा की जो स्थितियां है जिस तरह वो कलाएं परिवर्तित करता है हमारा मन भी उसी तरह कलाएं परिवर्तित करता है एक क्षण के लिए सोचता है जिन्दगी बहुत ही खुशहाल है और दूसरे क्षण के लिए सोचता है कि जिन्दगी में कुछ भी नहीं है। ये स्थितियां चन्द्रमा की वजह से उत्पन्न होती है। यदि इस चित्त में स्थिरता लाई जाए, यदि चन्द्रमा के डायरेक्ट कनेक्शन में व्यक्ति आये और इस प्रकृति की गोद में फिर से खेलना शुरू करे तो निश्चित तौर पर बेनिफिट जिन्दगी में होगा ही होगा। आप चन्द्रमा की इन सारी की सारी जो स्थितियां है यानि वनस्पति के सीधा टच में रहने की स्थितियां है या फिर किसी हिल स्टेशन के ऊपर घूमने जाने की स्थितियां है उनको अपने जीवन में निश्चित तौर पर लाइये। रजत धातु अपनी जिन्दगी में फिर से उतारिये। यानि इसकी चैन पहनना या व्यक्ति मोती के भीतर जब चांदी पहनता है अपने हाथ में तो काफी हद तक उसे बेनिफिट होता है। चन्द्रमा जो कि चांदी की धातु कारक निश्चित तौर पर माना गया है यदि चांदी का कड़ा भी हाथ में पहना जाए तो व्यक्ति काफी हद तक फिर से चन्द्रमा और प्रकृति से कनेक्शन एस्टेबलिस करता है और अपने जीवन को निरोगी और स्वस्थ बनाता है आप अपनी जिन्दगी से टेंशन और डिप्रेशन को अनस्बस्क्राइप कीजिये खुशियों को सबस्क्राइप कीजिये और इसके साथ में प्रत्येक सकारात्मक व्यक्ति जो आपको जिन्दगी में मिलता है उसके ऊपर एक पोजीटिव कमेंट कीजिये अपनी जिन्दगी को खुशहाल बनाइये। मैं ऐसी ही कई और बातों के साथ ऐसी ही कई ज्योतिषीय जानकारियों के साथ आपसे चर्चा करता रहूंगा।

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