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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

गुरु हो रहे हैं अस्त

नमस्कार। 12 नवम्बर, 2018 12 बजकर 51 मिनट पर देव गुरु वृहस्पति वृश्चिक राशि में होते हुए अस्तगत स्थिति में आ जाएंगे। 11 अक्टूबर, 2018 को शाम सवा सात बजे देव गुरु वृहस्पति ने शुक्र की राशि से निकल कर भूमिसूत मंगल की राशि में प्रवेश किया था और अब ये अगले 25 से 26 दिन के लिए यानि कि 7 दिसम्बर, 2018 तक अस्तगत स्थितियों में रहेंगे। इसके पूर्व सूर्य के प्रभाव क्षेत्र में आ जाने की वजह से 17 से 31 अक्टूबर के मध्य बुध पुष्य के दिन सुबह तक शुक्र अस्तगत स्थितियों में थे। भोग और ऐश्वर्य के कारक होने के कारण नवीन और मांगलिक कार्य वर्जित है। खरीदारी तक भी वर्जित है। अब वही स्थिति फिर से 12 नवम्बर से 7 दिसम्बर के बीच में बन रही है। हमें विशेष तौर पर इस Period में किसी भी नए और मांगलिक कार्य के लिए नहीं जाना चाहिए। इसके साथ में यदि कोई व्यापारिक प्रतिष्ठान हम Open करना चाह रहे हैं, किसी नए काम में संलग्न होना चाह रहे हैं, उस तरफ भी मत जायें आप इस पीरियड में। इसके साथ-साथ देव गुरु वृहस्पति शिक्षा के भी कारक होते हैं। ये बात गौर करने योग्य है कि कुंडली के 12 भावों में सबसे अधिक कारकात्व किसी को प्राप्त है तो वो है देव गुरु वृहस्पति को। तो जब ऐसे कारकात्व प्राप्त ग्रह अस्तगत पोजिशन के अंदर चले जाते हैं तो स्थिति को अच्छा नहीं कहा जा सकता। विशेष तौर पर नवीन और मांगलिक कार्यों के लिए। तो अब इसी दिन लाभपंचमी भी है। गुजराती नव वर्ष प्रारंभ हो चुका होता है। और Northern India में विशेषकर इसी समय हम ये देखते हैं कि व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल जाते हैं बही-खाते सुचारु किए जाते हैं, कलम दवात की भी पूजा की जाती है और उसके बाद में हम अपना काम-काज शुरू करते हैं इससे शुभ दिन मानकर। लेकिन इसी दिन 2 बजकर 51 मिनट पर देव गुरु वृहस्पति अस्त हो जाएंगे। आपको इसके पहले-पहले ये सारे के सारे काम पूर्ण कर लेने चाहिए। यदि कोई नया व्यापारिक प्रतिष्ठान आप खोल रहे हैं, यदि कोई एडिशनल बिजनस आप बढ़ाना चाहते हैं तो इस समय आप जा सकते हैं। देव गुरु वृहस्पति शिक्षा के भी कारक है, जैसा कि मैंने आपको बताया। तो इसलिए इस समय हमें कोई भी एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट खोलने से या और कोई नया कोर्स एप्लीकेबल करके उसे हमारे क्षेत्र में लेकर आने से बचना चाहिए। जो विद्यार्थी जीवन में संलग्न बच्चे हैं और नया कोर्स एडमिशन लेने वाले हैं। यदि तारीख तय है तो अलग बात है और यदि तारीख तय नहीं तो आपको थोड़ा-सा उसे पोस्टपोंड करना चाहिए। क्योंकि शिक्षा के जितने भी स्थितियां उसके कारकाधिपति होते हैं गुरु। इन पोजीशन्स से आप बचें। इसके साथ में ही एक अपवाद स्वरूप तारीख और है वो है 19 नवम्बर की। इस दिन देवप्रबोधनी एकादशी है। चातुर्मास आधिकारिक तौर पर इस दिन समाप्त हो जाएंगे। इस दिन अमूल्य संज्ञक मुहूर्त होने की वजह से विवाह आदि कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं। गौर कीजियेगा विवाह आदि कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं। नवीन यदि आप भूमि पूजन के लिए जा रहे हैं। नवीन कोई गृह निर्माण के लिए जा रहे हैं या फिर कंस्ट्रक्शन कम्पलीट हो चुका है, एक्ज्यूकिशन की पोजीशन में है। आप उसमें रहना शुरू करना चाहते हैं, किसी फ्लैट का पजेशन ले रखा है और फ्लैट की सुपुर्द होने वाली है। इस टाइम जोन में आप बचें क्योंकि लाभ के, शिक्षा, संतान के, द्रव्य के यानि लिक्विडिटि के, कुटुम्ब के और इसके साथ-साथ जो हमारे जीवन में लाभ की जितनी भी स्थितियां संचरित होती है उसके आधिपति होते हैं देव गुरु। तो इस समय के अंदर आप विशेष तौर पर ध्यान रखें। जब उदित अवस्था में 12 डिग्री के होकर आ जाएंगे 7 दिसम्बर को इसके बाद फिर से हम मांगलिक कार्यों के लिए और नवीन कार्यों के लिए जा सकते हैं। इसके पहले का जो समय है। मैं आज आपको पहले जानकारी दे रहा हूं, जब ये एपिसोड रिलीज हो रहा है। तो आप इसके मध्य काल में जो भी पर्चेजिंग करना चाहते हैं आराम से कीजिये। धनतेरस, दीपावली और उसके बाद की तिथियां आपके पास में है। बड़ा ही अच्छा समय है। पर्चेजिंग के लिए आप इस समय जाएं। किसी भी नवीन और मांगलिक कार्य के लिए जाना है इसी समय जाएं। क्योंकि समय बहुत ही कम मिला है। सूर्य के आवरण क्षेत्र में एक ग्रह निकला और दूसरा आया। तो इस वजह से समय कम है। लेकिन हम इसका फायदा ुउठाएं और उसके बाद की तारीखों का विशेष तौर पर हम ध्यान रखें तो बहुत ही बेहतर रहेगा। एक विशेष बात और है। जब भी आप मेरी एपिसोड्स देखते हैं तो इसके माध्यम से कमेंट बॉक्स के अंदर जो भी आप प्रश्न पूछते हैं, मेरी कोशिश रहती है कि उसके जवाब आप तक पहुंचे। कोई भी एपिसोड से संबंधित भ्रांति को, कान्ट्राडिक्शन स्वागत योग्य है। आप पूछें मैं जरूर जवाब दूंगा। लेकिन यदि आप विश्लेषण के लिए जाना चाहते हैं। किसी युति के माध्यम से अपने जीवन का समाधान चाहते हैं। क्या बेनिफिट है आगे आने वाला समय कैसा रहने वाला है। तो यहां इस स्क्रीन के ऊपर एक नंबर भी ब्लिंक करते हैं। आप उस नंबर पर कॉल करके ये मेरा ऑफिस का नम्बर है। एपायटमेंट ले सकते हैं, बातचीत उसके लिए हो सकती है। भ्रांति मूलक स्थितियों के लिए मेरा अनुग्रह और विनय है आप सभी से कि आप जरूर कमेंट बॉक्स के अंदर लिखें, लेकिन जहां तक चर्चा की बात है आप इसे अपने विनय मानिये कि हम चर्चा विश्लेषण के माध्यम से करें तो बहुत ही बेहतर स्थितियां रह सकती है और हम एक वन टू वन कम्यूनिकेशन के माध्यम से आप सभी से मिल सकते हैं। जोधपुर में हमारा कार्यालय है। यदि आप जोधपुर पधारना होता है तो वहां भी मुलाकात हो सकती है। नहीं तो टेलीफोनिक एपायटमेंट और इसके अलावा अन्य साधन मुफीद माने जाते हैं, हमसे बातचीत के लिए और भावी भविष्य की चर्चाओं के लिए ये एक अति आवश्यक माध्यम है। जिसके लिए हमें जाना चाहिए। और आगे के लिए एक मार्गदर्शन हमें मिल सके, ऐसी संभावनाएं पूर्ण रूप से बनी हुई रहती है। तो ये थी गुरु के अस्तगत स्थितियों में आने की बात। इसका विशेष तौर पर ध्यान रखें और जो चेंजेंज आ रहे हैं उसकी तरफ भी आप अच्छे से आगे बढ़ें। मैं ऐसी ही कई और जानकारियां आपके समक्ष लेकर आता रहूंगा।

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