
ज्योति,धन, ईश इति लभ्यते ज्योतिष। अर्थात जो ईश्वर के द्वारा ज्योति हमें प्रदान की गई है हमारे भावी जीवन को देखने के लिए, फल की सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए, जीवन को सुगम बनाने के लिए, संघर्षों से और संघर्षों के झंझावतों को अपने जीवन से दूर हटाने के लिए वो है ज्योतिष विज्ञान। आज मैं ज्योतिष विज्ञान की उसी शाखा लग्नेश और भाग्येश की दशा के बारे में बात करने जा रहा हूं कि लग्नेश और भाग्येश की दशा हमारे जीवन में किस तरह के प्रभाव डालती है, किस तरह के रिजल्ट लेकर आती है। उसके पहले ये जानना जरूरी है कि दशा क्या है। हम जिसे कहते हैं कि हमारे जीवन का समय सही नहीं चल रहा है, कहावतों में कहा जाता है कि तुम्हें तो शुक्र की दशा चल रही है, तुम्हें तो शनि की साढ़े साती चल रही है। शनि की साढ़े साती है इसका मतलब बहुत ज्यादा संघर्षों में है और शुक्र की दशा है इसका मतलब बड़े ही आनंद और भोगविलास के साथ में अपना जीवन निकाल रहे हो। ये सारी की सारी सरकमचांसेज स्थितियों के बारे में दशा के माध्यम से बात की जाती है। दशा इक्वल टू समय। समय कैसा चल रहा है, दशा कैसी चल रही है ये एक ही बात है आपके जीवन चक्र की यदि बात की जाए तो। अब किसी व्यक्ति ने तीन साल अपने जन्म से पहले सूर्य की दशा भोग ली और उसके बाद जो आने वाले तीन साल सूर्य की दशा भोगी इसके बाद चन्द्र, मंगल, राहू, गुरु, शनि, बुध, केतु, शुक्र ये सारी की सारी दशाएं अपने जीवनकाल में होगी जो कि 120 साल की विशोंतरी दशा कही गई है। अब जो सात ग्रह हैं उनके अलावा राहू और केतु याद रखिये सडु प्लेनेटस ड्रेगन हैल्थ एंड ड्रैगन टेल ये कभी भी लग्नेश और भाग्येश नहीं हो सकते, क्योंकि ये किसी भी भाव के, किसी भी राशि के स्वामी नहीं है। इन्हें किसी भी राशि के स्वामी के रूप में नहीं देखा जाता, इस वजह से इन्हें दूर हटाकर जो बाकी के सात ग्रह हैं वो लग्नेश और भाग्येश हो सकते हैं। अब यदि किसी भी व्यक्ति के जीवनकाल में एक ठीकठाक समय है, भले ही वो उसकी कुंडली कमजोर हो तीन ग्रह नीच के बैठे हुए हों, कुछ ग्रह त्रिक भाव में बैठे हुए हों, उच्चय स्थान में सौम्य ग्रह बैठे हुए हों, लेकिन फिर भी ऐसा व्यक्ति यदि अपने जीवन में लग्नेश की दशा भोग लेता है जो कि एक तरह से कंट्रोलिंग एप्रोच में रखता है पूरी कुंडली को। ऐसा व्यक्ति यदि लग्नेश की दशा भोग लेता है तो काफी हद तक अपने जीवन के समय काल को ठीक कर लेता है। यदि आप भी संघर्षों के दावानल में फंसे हुए हैं, सरकमचांसेज नेगेटिव है बिलकुल, लेकिन लग्नेश की दशा होने आने वाली है तो तैयार हो जाइये ऐसी स्थिति में लग्नेश की दशा आपके जीवन को तयशुदा रूप में सजायेगी और संवारेगी। यदि लग्नेश कर्म स्थान में जाकर बैठ जाए यहां आप अपनी कुंडली ले लीजिये जैसे कि ये काल पुरुष की कुंडली है। यहां पर लग्नेश होते हैं मंगल और वो यदि कर्म स्थान में जाकर बैठ जाएं तो वो व्यक्ति को दुगुनी रफ्तार से भगाने का काम करेंगे। व्यक्ति यदि अपने हाथ बांध भी लेगा और सोचेगा कि मैं काम नहीं करूंगा, फिर भी ऐसी मजबूरियां और ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाएगी कि उसे काम करना पड़ेगा और उसे उसकी आय के जरिया बनेगा, उसके नाम का जरिया तयशुदा बाद में बनेगा ही बनेगा ये मानकर चलना चाहिए। अब भले ही लग्नेश अष्टम स्थान में आकर बैठ गए तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को इस हिडन हाउस के द्वारा कई लोग ऐसे जीवन में निकल कर आएंगे जो कहेंगे मैंने उससे उस समय तुमसे रुपया उधार लिया था आज मैं तुम्हें चुका देता हूं। जहां से पैसा आने की आस भी नहीं थी। हमने कोई हुनर बहुत पहले विकसित किया था जिसकी हमें लगता है कि जिंदगी में जरूरत नहीं पडऩे वाली वो हुनर एकदम अचानक हमारे सामने ऐसा व्यक्ति आएगा और कहेगा मुझे तुम्हारे इस एलेन की आवश्यकता है यदि लग्नेश अष्टम है। यानि त्रिक स्थान में जो कि हिडन हाउस में चला भी जाए तो इस हिसाब की स्थितियां अपनी दशा के समय निकाल कर लेकर आता है और व्यक्ति जीवन में चमकरदार स्थितियों का सामना निश्चित तौर पर करता है यदि ऐसी दशा आती है तो। वही बात भाग्येश के साथ में भी है। भाग्येश जो कि आध्यात्म का स्थान भी है हमने इसे नवमेश भी कहा है, काल पुरुष की कुंडली में यदि बात की जाए तो नवमेश यहां हुए गुरु। ये एक उदाहरण के तौर पर मैं ले रहा हूं। यदि गुरु खुद से सडेष धन स्थान जो कि द्रव्य स्थान है यहां पर बैठ जाएं भले ही सप्तम स्थान में भाग्येश को अच्छा नहीं माना गया है वहां भी बैठ जाएं, लेकिन यदि आपके जीवनकाल में भाग्येश की दशा आ गई तो आप मानकर चलें कि आप उस पोजीशन में कर्मशील रहें लगातार तो ये दशा आपको रिजल्ट देकर चली जाएगी। भले ही एड्रोवर्स पोजीशन में है, भले ही नेगेटिव पोजीशन में है, लेकिन भाग्येश की दशा आ गई आपके जीवन में, मानकर चलिये कि ये आपको बेनिफिट देगी ही देगी। अब यदि भाग्येश लाभ स्थान में गए हुए हों अब यदि भाग्येश व्यय स्थान में गए हुए हों, यदि भाग्य का व्यय होगा तो निश्चित तौर पर मानकर चलें कीर्ति बढ़ेगी ही बढ़ेगी और इसके साथ में खुद के घर से चार-दस का संबंध और बनाएंगे ये युति बहुत ही मुफीद कही जाएगी। भाग्येश कहीं भी जाकर बैठ जाएं और दशा जीवनकाल में आ जाए तो आप मानकर चलें कि सफलता आनी निश्चित है आपके जीवन में प्रबलता आनी निश्चित है और इसके साथ में आपके कार्य क्षेत्र में आपका नाम फैलना अवश्यम्भावी है। वो फैलेगा ही फैलेगा इसमें कोई दो राय वाली बात नहीं है। अब कई बार लोग बात करते हैं कि साब दशा तो आ गई लेकिन फल ऐसे नहीं मिले, दशा में जब भी कोई अंतर दशा निकलेगी भले ही सूर्य की सूर्य हो, गुरु में गुरु की हो, शुक्र में शुक्र की हो वो अंतर दशा में उस हिसाब के फल नहीं करती तब तक हमें वेट करना चाहिए और जब दशा में अंतर दशा निकल जाती है उसके बाद देखिये आप चमत्कार किस तरह के फल लग्नेश और भाग्येश की दशा आपको जीवन में देकर जाती है। तो इस तरह यदि आपके जीवन में भी ये दशाएं आने वाली है तो तैयार रहिये अपने कुंडली पर जांचिये और परखिये और दुगुनी रफ्तार से भागने के लिए तैयार हो जाइये। मैदान आपके सामने है यदि ये दो दशाएं आपके सामने आने वाली है तो, भावी जीवन में प्रतिबिम्बित होने वाली है तो।
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