
नमस्कार दर्शकों। हमने कई बार ऑफिसेज में ये पोजीशन देखी है कि एक व्यक्ति खुद के टारगेट को अचीव करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है, ऑफिस में उसे जो भी काम बताया जाता है उसे पूरे डेडिकेशन के साथ करता है, लेकिन इसके विपरीत जब प्रमोशन और इंक्रीमेन्ट की बारी आती है तो ऐसे व्यक्ति का नाम सबसे पीछे कर दिया जाता है, सबसे पीछे धकेल दिया जाता है। एक महिला जो घर-परिवार में पूरे तरीके से पूरी जिन्दगी जुटी हुई रही, उन्हें एक करके रखने में पूरे फैमिलियर सपोर्ट में खड़ी रही, लेकिन जब अनन्ततोगत्वा यश-मान-प्रतिष्ठा की बारी आई तो उस महिला से यही कह दिया गया कि आपने पूरे जीवन में किया क्या है? एक विद्यार्थी ने शिक्षा काल में खुद के सर्वस्व को अर्पण कर दिया, अच्छे नम्बर पाने में, लेकिन जब रिजल्ट आया तो रिजल्ट मुफीद नहीं था, ठीक नहीं था यानि रुपए की मेहनत की थी और बीस पैसे का रिजल्ट मिला, ऐसे लोग निराशा के बादलों से घिर जाते हैं और खुद को भाग्यहीन मान लेते हैं इसके विपरीत कुछ लोग बहुत कम मेहनत करते हैं, लेकिन रिजल्ट इतने अच्छे आते हैं कि पूरी दुनिया उन्हें भाग्यशाली लोगों के रूप में जानती है। ये दो स्थितियां हैं जिसके बीच में दुनिया खड़ी हुई है। अब कुंडली के 12 भाव इसके बारे में क्या कहते हैं, विशेष तौर पर भाग्येश क्या है और भाग्य रत्न क्या है और यदि भाग्य कमजोर है तो इसे प्रबल कैसे किया जा सकता है, उसे सुदृढ़ कैसे किया जा सकता है कि इसकी चर्चा करने के लिए मैं आज यहां आपके समक्ष उपस्थित हूं। यहां मैने काल पुरुष की कुंडली का उदाहरण लिया है। काल पुरुष की कुंडली यानि मेष लगन की कुंडली इसमें भाग्येश होते हैं गुरु। ऐसा व्यक्ति यदि पुखराज धारण करे, यदि गुरु कमजोर पोजीशन में बैठे हुए हैं और ऐसा व्यक्ति पीत वर्णी पुखराज धारण करे तो निश्चित रूप से भाग्य प्रबल होते हैं और कमजोर स्थितियों से छुटकारा मिलता है। यदि यदि वृषभ लगन की कुंडली की बात की जाए तो वृषभ लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं शनि। अब शनि जहां भाग्येश है यदि वो कमजोर स्थिति में बैठ गए तो ऐसे व्यक्ति को नीलम धारण करना चाहिए। मिथुन लगन में भी यही स्थिति बैठती है वहां पर भी भाग्येश होते हैं शनि। यदि ऐसे लोग को वृषभ और मिथुन लगन की कुंडली के लोग यदि शनि को कमजोर स्थिति में बैठा हुआ देखें और नीलम धारण करें तो उन्हें काफी हद तक अपने भाग्य को प्रबलता लाने में सपोर्ट मिलता है। बात करते हैं कर्क लगन की कुंडली की। कर्क लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं गुरु। कर्क लगन की कुंडली का जातक लगातार मेहनती, सतत प्रयत्नशील होता है। यदि वहां पर भाग्येश कमजोर हो जाए यानि गुरु कमजोर हो जाए तो ऐसे व्यक्ति को भी निश्चित रूप से पुखराज धारण करवाना चाहिए। बात करते हैं सिंह लगन की। सिंह लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं मंगल। ऐसे व्यक्ति के भी यदि मंगल कमजोर होता है तो उन्हें मूंगा धारण करवाना चाहिए। बात करते हैं कन्या लगन की कुंडली की। कन्या लगन की कुंडली में यदि भाग्येश कमजोर है, कन्या लगन की कुंडली में भाग्येश होंगे शुक्र। यदि ऐसे व्यक्ति को हीरा धारण करवाया जाए। किसी की आमद इतनी जहमत नहीं उठा पा रही है, किसी की इनकम उस बेसिस के ऊपर नहीं है कि वो हीरा पहन पाये क्योंकि हीरा बहुत एक्सपेन्सिव आता है। ऐसा व्यक्ति यदि उसका सब्सिच्युट ओपेल भी धारण करता है तो काफी हद तक बेनिफिट रहता है। बात करते हैं तुला लगन कुंडली की। तुला लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं बुध। बुध के लिए यदि ऐसे व्यक्ति को पन्ना पहनाया जाये, यदि भले ही कमजोर स्थिति के हैं, चाहे सुदृढ़ स्थिति में है यदि ऐसा व्यक्ति पन्ना पहनता है तो भाग्येश को निश्चित रूप से सपोर्ट मिलता ही मिलता है। अब हम बात करते हैं वृश्चिक लगन कुंडली की। वृश्चिक लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं चन्द्रमा। चन्द्रमा जब भाग्येश होते हैं तो ऐसा व्यक्ति मोती धारण करें तो काफी हद तक उसके लिए मुफीद रहता है और अच्छे रिजल्ट आते हैं, मनोस्थितियां भी उसकी काफी हद तक नियंत्रण में रहती हैं। अब वृश्चिक लगन की कुंडली में बाधक अधिपति भी होते हैं चन्द्रमा। इसलिए ऐसा व्यक्ति यदि चन्द्रमा धारण करता है तो उसके लिए काफी हद तक बेनिफिट वाली पोजीशन दशा होती है। अब हम यहां बात करेंगे धनु लगन की कुंडली की। धनु लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं सूर्य। यदि सूर्य कमजोर स्थिति में बैठे हुए हैं तो निश्चित तौर पर ऐसे व्यक्ति को माणक्य धारण करना चाहिए। यदि वो माणक्य धारण करता है तो उसे तयशुदा रूप में अपने भाग्य को सपोर्ट करने में फायदा मिलता है। मकर लगन की कुंडली। मकर लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं बुध। यदि बुध कमजोर स्थिति में बैठे हुए हैं और ऐसा व्यक्ति यदि पन्ना धारण करें तो निश्चित तौर पर भाग्य को सपोर्ट मिलता है और उसके काम आसानी से बनते चले जाते हैं। अब हम बात करते हैं कुंभ लगन की कुंडली की। कुंभ लगन की कुंडली में भाग्येश होते हैं शुक्र। ऐसा व्यक्ति यदि हीरा पहने, जैसा मैंने बताया ओपेल पहने जो कि उसका सब्सिच्युट है तो निश्चित तौर पर भाग्य को प्रबलता मिलता है। अब बात करते हैं धनु लगन, धनु नहीं मीन लगन की यदि यहां मीन लगन की बात की जाए तो मीन लगन में भाग्येश होते हैं मंगल। ऐसा व्यक्ति यदि मूंगा धारण करता है तो निश्चित तौर पर उसे बेनिफिट मिलता है और जीवन में जो बिगड़े हुए काम हैं और जो भाग्य के द्वारा हारा हुआ व्यक्ति उसको पूर्ण रूप से सपोर्ट मिलता है। ये थी 12 भावों के आधार पर भाग्येश की स्थिति। कौन-सा भाग्य रत्न धारण करना चाहिए जिससे भाग्य को प्रबलता मिले यदि भाग्य प्रबल होता है तो व्यक्ति के कर्म में लगातार चार चांद लगते हैं और व्यक्ति उस स्तर को पाने की अपेक्षा कर सकता है, जहां तक वो पहुंच सकता है। मैं ऐसी ही और जानकारियां लेकर उपस्थित होता रहूंगा।
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