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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

शुक्र अस्त : कौन-कौन से कार्य होंगे निषेध

17 अक्टूबर 2018 से लेकर 31 अक्टूबर 2018 तक तारा ग्रह शुक्र अस्त रहेंगे। शुक्र जो कि 5 अक्टूबर को तुला राशि में होते हुए वक्री होने जा रहे हैं और मार्गी होंगे 16 नवम्बर की तारीख को। 16 नवम्बर, 2018 को। इसके मध्य अंतराल में 17 अक्टूबर की शाम को जब सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे यानि कि नीचस्थ हो जाएंगे उस समय शुक्र जो कि तारा ग्रह है वो अस्त हो जाएंगे। इस नवग्रहीय व्यवस्था में दो प्रकाश ग्रह हैं सूर्य और चन्द्रमा। इसके अलावा पांच तारा ग्रह हैं- राहू और केतु षडो प्लेनेट्स हैं। इसमें बुध एक अपवाद है। इन पांच तारा ग्रहों में बुध एक अपवाद है। जो कि अस्तगत नहीं होते, इसके अलावा चारा तारा ग्रह हैं अस्तगत श्रेणी में आते हैं जब सूर्य के प्रभाव में आ जाएं तो। जब सूर्य तुला राशि में उदयकालीक स्थिति में आ जाएंगे जो कि शुक्र पहले से तुला राशि में विराजे हैं वक्र गति के साथ। जब सूर्य अपने प्रभाव से इन्हें पूरे तरीके से ढक देंगे इनके प्रभावों को क्षीण करने का कार्य करेंगे। यानि कि जब सूर्य उदित होते हैं तो जितने भी तारे आप इस ब्रह्माण्ड मंडल में, नक्षत्र मंडल में देखते हैं उनका किसी का भी प्रभाव हमें स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर नहीं होता। और जब सूर्य अस्त हो जाते हैं तो फिर वे सारे के सारे तारे हमें दिखाई देने लगते हैं। ये सार्वभौमिक सत्य है। तो जब  शुक्र जो कि भोग और ऐश्वर्य के कारक हैं, हमारे जीवन में सुख सुविधाओं की तरफ हमें लेकर जाते हैं। शुक्र जब अस्त हो जाएं तो हमें मांगलिक कार्य टालने चाहिए। 7 नवम्बर को दीपावली भी आ रही है तो कोशिश करें कि कुछ भी नया सामान हम अपने घर के लिए लेने वाले हों तो या तो 17 अक्टूबर के पहले नवरात्रि के बाद से 17 अक्टूबर के पहले या फिर 31 अक्टूबर के बाद ही पर्चेज करें। कोई आप नवीन यात्रा करने वाले हैं या फिर किसी ऐसे मंदिर जाने वाले हैं जहां पर आप दर्शन पहली बार करेंगे वो यात्रा भी आपको टालनी चाहिए। कोई भी मांगलिक कार्य जुड़ा हुआ है उसे हम इस समय अंतराल में एक पखवाड़े के लगभग का ये समय है उसे आप टालें और उसके बाद में आगे बढ़ सकते हैं। तुला राशि वाले जो भी व्यक्ति हैं उनके लिए अभी शुक्र अपनी राशि में होते हुए वक्री रहेंगे और उसके बाद में अस्त हो जाएंगे उन्हें विशेष तौर पर इस समय अंतराल में ध्यान रखने की आवश्यकता है, सावधानी के साथ में आपको अपना समय बिताना चाहिए।

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