यूं तो सच्चाई के गुणगाण ग्रंथों-शास्त्रों और कहानियों में देखने सुनने को मिलते रहते हैं, लेकिन इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में, जहां व्यक्ति केवल पैसों की अंधी दौड़ की चकाचौंध का शिकार होता प्रतीत होता है, जिसका कोई और है न ही छोर है। ऐसे में व्यक्ति आध्यात्मिक से विमुख होकर जीवन व्यतीत करता जाता है जो उसे सिवाय परेशानियों के कुछ और हासिल होने की कतई उम्मीद नहीं दे सकता। ऐसे में जीवन में सच्चाई को अंगीकार कर मनुष्य आगे बढ़ता रहे तो हो सकता है जीवन की परेशानियों को कुछ हद तक कम कर सके। क्योंकि जीवन में अगर सच्चाई नहीं है तो फिर परमात्मा के सामने सच्चाई को कैसे स्वीकार कर पाएगा।
एक बार की बात है टॉलस्टॉय सुबह पांच बजे चर्च गए। सोचा वहां शांत वातावरण में प्रार्थना सुन सकूंगा, किंतु उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनसे पहले भी एक व्यक्ति वहां पर पहुंच चुका है। और कह रहा है, 'हे भगवान, मैने इतने अधिक पाप किए हैं कि मुझे कुछ कहते हुए लज्जा आ रही है। अत: हे परमात्मा, मेरे पापों को क्षमा करना।
टॉलस्टॉय ने जब सुना तो सोचने लगे की यह व्यक्ति वाकई में कितना महान है कि सच्चे दिल से अपने अपराधों को स्वीकार कर रहा है। यदि किसी अपराधी को अपराधी कहें तो वह नाराज होकर मारने दौड़ता है और एक यह है जो स्वयं को अपराधी मानकर क्षमायाचना कर रहा है। निकट जाने पर टॉलस्टॉय उसको पहचान गए। वह नगर का लखपति सेठ था। ज्यों ही उसकी दृष्टि टॉलस्टॉय पर गई वह घबराकर बोला, 'आपने मेरे शब्द सुने तो नहीं? टॉलस्टॉय ने कहा, 'हां, सुने तो थे। मैं तो तुम्हारी स्वीकारोक्ति सुनकर धन्य हो गया।
यह सुनकर वह व्यक्ति बोला, 'लेकिन यह बात तुम किसी को भी मत बताना, क्योंकि यह बात मेरे और परमेश्वर के बीच की थी। मैं तुम्हे सुनाना नहीं चाहता था। फिर अकस्मात कुछ नाराजगी जाहिर करते हुए बोला, 'लेकिन अगर तुमने यह बात किसी को को बताई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
टॉलस्टॉय यह सुनकर दंग रह गए और बोले, 'अरे, अभी-अभी तो तुम कह रहे थे कि ...। उनकी बात काटते हुए वह व्यक्ति बीच में ही बोल उठा, 'हां, मगर मैने जो कुछ भी कहा था वह परमात्मा के लिए था। दुनिया के लिए नहीं। टॉलस्टॉय हैरान होकर सोचने लगे कि यह दुनिया कितनी मूर्ख है। लोगों से डरती है लेकिन भगवान से नहीं। जो इंसान लोगों के सामने अपनी सच्चाई प्रगट नहीं कर सकता है वह भला भगवान के सामने कैसे सच्चा हो सकता है।
सच्चाई को जीवन में अंगीकार करने का साहस करें, सच्चाई स्वीकारना कठिन हो सकता है, सच्चाई धैर्य की परीक्षा लेती है, लेकिन अंतिम परिणाम हमेशा सुखद रहता है। सच्चाई की अनगिणत कहानियां, किरदार, घटनाएं आदि से इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ भरे पड़े हैं, जरूरत है तो सिर्फ उन पर अमल करने की।
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