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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

21-22 जनवरी माघ मास विशेष

माघ मास स्नान महिमा
हिन्दू धर्म ग्रंथों में माघ मास स्नान की महिमा का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार माघ स्नान से बढ़कर पवित्र पाप नाशक दूसरा कोई व्रत नही है। एकादशी के व्रत की महिमा है, गंगा स्नान की महिमा है, लेकिन माघ मास में सभी तिथियाँ पर्व हैं, सभी तिथियाँ पूनम हैं। और माघ मास में सूर्योदय से थोड़ी देर पहले स्नान करना पाप नाशक और आरोग्यप्रद और प्रभाव बढ़ाने वाला है। पाप नाशनी उर्जा मिलने से बुद्धि शुद्ध होती है, इरादे सुंदर होते हैं। जिससे स्वास्थ्य लाभ के साथ सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
पद्म पुराण में ब्रह्म ऋषि भृगु कहते हैं की -तप परम ध्यानं त्रेता याम जन्म तथाह, द्वापरे व् कलो दानं माघ सर्व युगे शुच-
सत युग में तपस्या से उत्तम  पद की प्राप्ति होती है, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में भगवत पूजा से और कलियुग में दान सर्वोपरी माना गया है। दानं केवलं कलि युगे, परन्तु माघ स्नान तो सभी युगों में श्रेष्ठ माना गया है।
सतयुग में सत्य की प्रधानता थी, त्रेता में तप की, द्वापर में यज्ञ की, कलयुग में दान की लेकिन माघ मास में स्नान की चारो युग में बड़ी भारी महिमा है। सभी दिन माघ मास में स्नान कर सकें तो बहुत अच्छा नहीं  तो केवल 3 दिन तो लगातार करना चाहिए। बीच में तो करें लेकिन आखिरी 3 दिन तो जरूर करना चाहिए। माघ मास का इतना प्रभाव है कि सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं।
पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पलने से जो फल मिलता है माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है। केवल 3 दिन ही माघ मास में प्रात: स्नान सब कुछ देता है। आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है।
जिनके बच्चे सदाचरण से गिर गए हैं उनको भी पुचकार के, इनाम देकर भी बच्चों को स्नान कराओ तो बच्चों को समझाने से, मारने-पिटने से या और कुछ करने से उतना नहीं सुधर सकते हैं, घर से निकाल देने से भी इतना नहीं सुधरेंगे जितना माघ मास के स्नान से।
माघ मास स्नान के प्रभाव से तो सदआचरण, संतान वृद्धि, सत्संग, सत्य और उदार भाव आदि का प्रादित्य होता है। व्यक्ति की सुरता उतम गुण, सुरता माना समझ, उतम गुण से सम्पन होती है। नर्क का डर उसके लिए सदा के लिए खत्म हो जाता है। मरने के बाद फिर वो नर्क में नही जायेगा।
शास्ग्तों के अनुसार माघ स्नान के बाद मनुष्य की दरिद्रता और पाप दूर हो जाते हैं। दुर्भाग्य का कीचड नाश हो जाता है। यत्न पूर्वक माघ स्नान, माघ प्रात: स्नान से विद्या निर्मल होती है। निर्मल विद्या होगी तो ये पापाचरण में रूचि नहीं होगी।
यह महीना दान-पुण्य, धर्म-कर्म और त्याग का महीना माना जाता है। मघा नक्षत्र के नाम पर इस महीने का नाम माघ होता है। माघ मास के दौरान मनुष्य को किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ मास में सभी देवता मानव रूप धारण करके स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आकर वास करते है तथा प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयाग गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है इसी कारण इस स्थान का विशेष महत्व हो जाता है। इस दिन भैरव जयंती भी मनाने की परम्परा है। जो जातक चिरकाल तक स्वर्गलोग में रहना चाहते हैं। उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर अवश्य तीर्थ स्नान करना चाहिए।
स्वर्गलोके चिंर वासो येषां मनसि वर्तते।
यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे॥

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