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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

19 फरवरी : माघ पूर्णिमा

भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा कि मासों में मैं माघ मास हूं। इस कथन से ही माघ माह की महिमा स्वत: सिद्ध हो जाती है। वैसे भी हिन्दू धर्म में माघ पूर्णिमा का कार्तिक पूर्णिमा जैसा महत्व है। माघ पूर्णिमा 19 फरवरी, 2019 मनाई जाएगी। माघ माह का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व माना गया है। इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान आदि कर के विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। पितृ श्राद्ध कर्म तथा गरीबों को दान आदि देने का इस दिन खास महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी अत्यधिक महत्व है। स्नान और दान-पुण्य करने से सारे कष्ट व दुखों का अंत होता है। वैसे तो वर्ष के प्रत्येक माह की पूर्णिमा का महत्व है परन्तु माघ पूर्णिमा की बात भिन्न है। माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों तथा सरोवरों या संभव हो तो संगम में आस्था की डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप कट जाते हैं तथा व्यक्ति की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। माघी पूर्णिमा का सर्वाधिक महत्व इसलिए भी है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। यदि कोई पूरे माघ माह में नदियों-सरोवरों में स्नान नहीं भी कर पाए, लेकिन एक दिन माघ पूर्णिमा को किसी नदी-सरोवर में स्नान और दान-पुण्य करे तो भी उसे विधिवत फलों का लाभ मिलता है।
माघ पूर्णिमा की कथा
प्राचीन समय में एक बार कान्तिका नगरी में धनेश्वर नामक एक ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण हमेशा दुखी रहता था क्योकि वह नि: संतान था। ब्राह्मण धनेश्वर ने बहुत जतन किया परन्तु उनकी पत्नी रूपमती से कोई संतान की उत्पति नही हुई। ब्राह्मण प्रतिदिन भिक्षा के लिए दूसरे गाँव जाया करता था।
एक दिन जब भिक्षा के लिए एक यजमान के घर पधारे तो यजमान ने भिक्षा देने से इनकार कर दिया। यजमान ने कहा की क्षमा करे, ब्राह्मण देव पर मैं आपको भिक्षा नही दे सकता हूँ क्योकि आपकी कोई संतान नही है तथा मैं नि: संतान को दान या भिक्षा प्रदान नही कर सकता हूँ। क्षमा करे, ब्राह्मण देव। परन्तु मैं आपको संतान प्राप्ति के लिए एक माध्यम देता हूँ।
माँ चन्द्रिका देवी अर्थात माँ काली की पूजा तथा उपवास करे। आपको अवश्य पुत्र की प्राप्ति होगी। धनेश्वर ब्राह्मण तथा उसकी पत्नी रूपमती ने माँ काली की श्रद्धा और निष्ठा से भक्ति किया जिससे माँ काली प्रसन्न हो दोनों को दर्शन देकर वर दिया की निकट भविष्य में तुम्हे संतान प्राप्ति होगी। कुछ समय के पश्चात ब्राह्मण धनेश्वर को संतान की प्राप्ति हुई।
पूजन विधि
माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है जिसे सत्नारायण पूजा भी कहते हैं। इस दिन उपासक को भगवान विष्णु की पूजा फल, फूल, पान, सुपारी, दूर्वा तथा प्रसाद में चूरमा से किया जाता है। भगवान विष्णु व्रती के विधि-विधान से सम्पन्न किये गए पूजा को स्वीकार करते हैं। पूजन समाप्ति के समय भगवान विष्णु से परिवार के सुख, शांति और मंगल की कामना करे। भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा से व्रती का सदैव मंगल होता है।

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