8 फरवरी : गणेश तिल चतुर्थी
8 फरवरी 2019 को गणेश तिल चतुर्थी है, जिसे गणेश जी के दूसरे नाम वरद विनायक तिल चतुर्थी के रूप में भी मनाया जाता है। गणेश तिल चतुर्थी का व्रत हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इस दिन तिल दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणेश भगवान को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। भगवान गणेश का स्थान सभी देवी-देवताओं में सर्वोपरि है। गणेश जी को सभी संकटों को दूर करने वाला तथा विघ्नहर्ता माना जाता है। जो भगवान गणेश की पूजा-अर्चना नियमित रूप से करते हैं उनके घर में सुख व समृद्धि बढ़ती है।
इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके उपरान्त एक स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान गणेश की धूप-दीप आदि से आराधना करनी चाहिए। विधिवत तरीके से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। फल, फूल, अक्षत, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान आदि कराने के पश्चात भगवान गणेश को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए।
मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। विधिवत तरीके से भगवान गणेश की पूजा करने के बाद उसी समय गणेश जी के मंत्र 'ऊँ गणेशाय नम:' का जाप 108 बार करना चाहिए। इसके पश्चात इस दिन विशेष तौर पर गणेश गायत्री मंत्र का जाप शीघ्र फलदायी माना गया है। इस मंत्र के जाप से घर-परिवार में सुख व समृद्धि के साथ मानसिक शान्ति की प्राप्ति होती है। मंत्र-
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
का जाप करते हुए पूजन करना चाहिए। संध्या समय में कथा सुनने के पश्चात गणेश जी की आरती करनी चाहिए।
इस दिन जो व्यक्ति भगवान गणेश का तिल चतुर्थी का व्रत रखते हैं और जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं वह सभी अपनी सामथ्र्य के अनुसार गरीब लोगों को दान कर सकते हैं। इस दिन गरीब लोगों को गर्म वस्त्र, कम्बल, कपड़े आदि के साथ तिल व तिल से बनी वस्तुओं का दान करना चाहिए। भगवान गणेश को तिल तथा गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाने के बाद प्रसाद को गरीब लोगों में बांटना चाहिए। लड्डुओं के अतिरिक्त अन्य खाद्य वस्तुओं को भी गरीब लोगों में बांटा जा सकता है।
इस दिन दान का भी विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में दिया गया है जिसके अनुसार जो व्यक्ति व्रत के साथ-साथ दान भी करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत गणेश तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन संध्या समय में गणेश चतुर्थी की व्रत कथा को सुना जाता है कथा अनुसार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चन्द्रमा को अघ्र्य देगा उसके तीनों ताप- दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होगें। व्यक्ति को सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलेगी व सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
Comments
Post a Comment