मौनी अमावस्या को करें मनोकामना की पूर्ति
प्रयागराज में आकाशीय अमृत वर्षा
देवी-देवता से लेकर स्वयं भगवान विष्णु जहां माघ मास के महात्म्य के बारे में बताते हैं जिससे माघ मास की प्रतिष्ठा और बढ़ जाती है। वर्ष 2019 में ये तब और भी विशेष हो जाता है जब ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार विशेष संयोग कल्याणकारी भूमिका में होंगे जिससे कोई भी अपनी मनोकामना की पूर्ति आसानी से कर सकते हैं। मौनी अमावस्या के पर्व पर मकर राशि में चार ग्रहों की युति विशेष फलदायी है, मौनी अमावस्या का अमृतमय स्नान मकर राशि में सूर्य, चन्द्र, बुध, केतु, इन चारों ग्रहों के सानिध्य में होगा। शनि, शुक्र धनु राशि में, गुरु वृश्चिक राशि में, राहु कर्क राशि में एवं मंगल मीन राशि में स्थित होकर तीर्थराज प्रयाग में इस पर्व पर आकाशीय अमृत वर्षा करेंगे। माघमास की अमावस्या तिथि, माघ के महीने का सबसे बड़ा स्नान पर्व है। यह तिथि चुपचाप मौन रहकर मुनियों के समान आचरण पूर्ण स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही माघमास, कृष्णपक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या कहलाती है।
मौनी अमावस्या के दिन सूर्य चन्द्र की मकर राशि में युति के सानिध्य में स्नान करना महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनेक वर्षों बाद ऐसा शुभ अवसर आया है जब सोमवती अमावस्या पर सारे ग्रह नक्षत्र कल्याणकारी भूमिका में हैं जो मानव की हर कामना को पूर्ण करेंगे। मौनी अमावस्या का स्नान-दान इस बार विशेष पुण्यदायक रहेगा। सोमवार, 4 फरवरी के दिन अमावस्या पडऩे से इस तिथि का पुण्य प्रताप दोगुना हो गया है।
माघ मास की अमावस्या को ब्रह्मा जी और गायत्री की विशेष अर्चना के साथ-साथ देव पितृ तर्पण का विधान है। सतयुग में तपस्या को, त्रेतायुग में ज्ञान को, द्वापर में पूजन को और कलियुग में दान को उत्तम माना गया है परन्तु माघ का स्नान सभी युगों में श्रेष्ठ है। माघ मास में गोचरवश जब भगवान सूर्य, चन्द्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं, तो ज्योतिषशास्त्र उस काल को मौनी अमावस्या की संज्ञा देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य की उत्तरायण गति और उसकी प्रथम अमा के रूप में मौनी अमावस्या का स्नान एक विशेष प्रकार की जीवनदायिनी शक्ति प्रदान करता है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके देव ऋषि और पितृ तर्पण करके यथाशक्ति तथा शेष दान कर मौन धारण करने से अनंत ऊर्जा की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि मौनी अमावस्या के व्रत से व्यक्ति के पुत्री-दामाद की आयु बढ़ती है और पुत्री को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सौ अश्वमेघ एवं हजार राजसूर्य यज्ञ का फल मौनी अमावस्या में त्रिवेणी संगम स्नान से मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के पश्चात तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र, अंजन, दर्पण, स्वर्ण तथा दूध देने वाली गौ आदि का दान किया जाता है।
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