
गुरु प्रधान राशि है ये। गोचरीय आंकलन में चन्द्र राशि के अनुसार ही चर्चा करता हूं। क्योंकि तारों का संचरण गोचर के माध्यम से चन्द्र राशि से ही देखा जाना सबसे अधिक सुविधाजनक रहता है। 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर के मध्य समय मार्ग शीर्ष मास रहेगा। इस मास का गीता में भी वर्णन है। यहां चन्द्रमा मीन राशि में ही विराजित है। 24 नवम्बर को चन्द्रमा वृषभ राशि से निकलकर मिथुन की ओर गमन करेंगे, किन्तु हमारे लिए सारे भावों में चन्द्रमा की स्थिति को परिवर्तित करके दिखा पाना संभव नहीं है। प्रतीकात्मक तौर पर चन्द्रमा मीन राशि स्थान में ही विराजित दिखाए गए हैं। सूर्य ने नीचस्थ स्थितियों से निकलकर भाग्य स्थान में प्रवेश करने का कार्य किया। यहां अपने सेनापति की राशि में प्रवेश कर गए और शुक्र पहले अस्तगत थे फिर वक्री थे अब 16 नवम्बर के बाद मार्गी हो चुके हैं। हालांकि अष्टम स्थान के अंदर विराजित हैं। राहू और केतु इसी स्थिति को लम्बे समय से लेकर विराजित। मंगल कुंभे भोम हो चुके हैं। भूमिसूत अग्नि के कारकात्व प्राप्त ग्रह मंगल यहां पर कुंभ राशि में शनि की मूल त्रिकोण राशि में प्रवेश कर चुके हैं। द्वादश स्थान के अंदर विराजित। भाग्येश जब भी द्वादश जाते हैं ये विचित्र स्थिति है जिसका आंकलन-विश्लेषण-अनुसंधान किया जाए तो हमारे सामने परिणाम बड़े अच्छे से निकलकर आते हैं। भाग्येश होमकर मंगल द्वादश हाउस में विराजित। यहां 4-10 की गणना नहीं की जा सकती। 4-10 गणनाएं तो अलग बात है किन्तु भाग्येश व्यय स्थान में है तो सबसे पहले यह देखने में आता है कि भाग्य का व्यय होगा। भाग्य जब व्यय की ओर जाता है या बिखरने लगता है तो व्यक्ति का पराक्रम वो बढऩे लगता है। उसका औरा बढऩे लगता है और साथ में ही भाग्य जिस हिसाब के संचरण की स्थितियों को फैलाने का कार्य करता है वैसे ही हम भाग्य से सपोर्टिव एप्रोच को पाते हैं। किन्तु लिक्विडिटि हाउस में मंगल आ गए हैं। लिक्विडिटि के व्यय करवाने का कार्य करेंगे, इसकी रोकथाम आवश्यक रहती है। यदि हम किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो सावधानी रखते हुए आगे बढ़े तो दवाइयों के खर्चे बच सकते हैं। प्रकृति से फिर से जुड़ाव बढ़ाने की कोशिश कीजिये। लिक्विडिटि के आधिपति होकर व्यय स्थान में मंगल आने से निरर्थक खर्चे बढ़ सकते हैं। शनि इस स्थिति में आग में घी डालने का कार्य करेंगे। तीसरी दृष्टि से व्यय स्थान को देख रहे हैं वो भी कर्म स्थान के अंदर बैठकर। कर्म स्थान के अंदर गुरु की राशि के अंदर शनि जब भी बैठ जाते हैं तो व्यक्ति को भ्रमणशील रखने का कार्य करते हैं। घूमना अनुभव प्रदान करता है। अनुभव से आदमी निखरता चला जाता है। मंगल इन्हीं एप्रोचेज को बढ़ाने का कार्य करेंगे अपनी आठवीं दृष्टि से। विवाह में विलम्ब की स्थिति सुधरी नहीं है क्योंकि गुरु किसीभी स्थिति से गोचरीय व्यवस्थाओं के अंदर सप्तम स्थान को नहीं देख रहे। शनि दसवीं दृष्टि से यहां देखने का कार्य कर रहे हैं। बार-बार हम किसी बात को फिकसेसन की ओर लेकर जाते हैं, निर्णायक भी लगता है फिक्स हो जाएगी, किन्तु फिर से कोई न कोई टालमटोल सामने आ जाती है। रिश्ता दूरी की ओर चला जाता है। निराश मत होइये, जब भी गुरु अपनी स्थितियों को कुछ महीने बाद परिवर्तित करेंगे तब संभावनाएं प्रथमतया आपके सामने आएगी। उस मौके को क्लिक करने की ओर बढऩा चाहिए। व्यापार के लिए स्थिति अच्छी बन रही है। दृढ़ता कारक ग्रह सप्तम स्थान को देखेंगे साथ में ही सप्तमेश होकर बुध भाग्य स्थान के अंदर आ चुके हैं। अब एक पोजीशन बड़ी ही इंटरेसटिंग देखते हैं यदि आप इस महीने में विवाह के बंधन से बंधने वाले हैं जो कि पहले तय हो चुका था सप्तमेश जो कि भाग्य स्थान में आए हैं। जैसे ही आप अपने मंगलाचरण की ओर बढ़ते हैं तो बड़ी ही जल्दी आपको ये भी समाचार मिल जाएंगे कि हमारे भाग्य ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। जो काम लम्बे समय से अटके हुए थे जो जॉब प्रोफाइल चेंज होनी थी या फिर जॉब में ग्रोथ मिलनी थी। बिजनस बढऩे की ओर था, जैसे ही गृह लक्ष्मी ने प्रवेश किया आपके भाग्य ने भी प्रबलता का रास्ता अख्तियार कर लिया और आप आगे बढऩे लगे। पराक्रम स्थान का सपोर्ट आपको नहीं मिल पाएगा क्योंकि पराक्रमेश होकर शुक्र भले ही स्वराशि स्थान के अंदर विराजित है किन्तु अष्टम स्थान के अंदर हैडन हाउस के अंदर आ चुके हैं। इस स्थिति को शुक्र के हिसाब से इतना अच्छा नहीं कहा जा सकता है। ध्यान रखियेगा। पराक्रम की जहां आवश्यकता रहती है जिसे आप किसी जॉब इंटरव्यू को फेस करने जा रहे हैं और निश्चित तौर पर सब कुछ जानते हैं उस फील्ड के महारथी है क्योंकि आपने उसके बारे में काफी अध्ययन-चिंतन-मनन किया है उस क्षेत्र का, किन्तु शुक्र की स्थिति सपोर्टिव नहीं होने की वजह से निर्णायक मौकों के ऊपर आपका कान्फिडेंश लूज हो सकता है। मां दुर्गा की उपासना की ओर आपको जरूर जाना चाहिए। इंटरव्यू के लिए जाएं तो मां दुर्गा या फिर मां का जो भी स्वरूप है उसका चिंतन करते हुए आगे बढऩा चाहिए। परिणाम सुखद आएंगे। 6-8 का संबंध है उसके साथ में अष्टम स्थान की स्थिति अष्टमेश होते हुए शुक्र ने अपना रखी है ये तो थोड़ी सी गलत कही जा सकती है। यदि पुराने प्रेम प्रसंग थे तो उनके आधार पर भी आप ध्यान रखियेगा। चीजें एक्सपोज होकर सामने आ सकती है। धैर्य के साथ आगे बढ़े। सूर्य षष्टेश होकर यहां भाग्य स्थान के अंदर आ चुके हैं। प्रखरता वाली स्थिति में आ चुके हैं। षष्टेश की जो स्थितियां दुर्गुणों से युक्त होती है जो त्रिक भाव है इसकी स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित करने का कार्य करेंगे। मंगल की राशि के अंदर सूर्य और आ गए हैं तो राजा अपने सेनापति की राशि में आ जाएंगे तो कन्फर्ट जोन वाली स्थिति करवाएंगे। किन्तु आध्यात्मिक चिंतन के ऊपर व्यवस्थाएं बड़ी ही अद्भुत बन रही है। यदि आप इस स्पेच्युअ लेवल पर बढऩा चाहते हैं, योगाभ्यास के द्वारा खुद के शरीर को सही करना चाहते हैं। ये समय अनुकूल है। इस महीने लग्न स्थान के अन्दर सूर्य और गुरु की ऐसी स्थिति देखी जाए और बुध जैसे ग्रह जब साथ में बैठे हों तो व्यक्ति दर्शन का जानकार अपने आप ही हो जाता है। नवम स्थान के अंदर ये स्थिति जब भी बनती है तो आध्यात्मिक चेतना को उद्वेलित करने का कार्य करती है। व्यक्ति उस परमतत्व के साथ खुद का जुड़ाव पाता है, वहीं असीम आनन्द वाली स्थितियां है। भाग्य भले ही इतना सपोर्टिव नहीं रहे किन्तु यह हाउस आध्यात्म का और भूतकाल का भाव भी है है तो भूतकाल की घटनाओं में स्कील्स डवलप की थी उसे भी मदद मिलने की उम्मीद रहेगी। कर्म स्थान के आधिपति होकर जब भी हम नवम-दशम की बात करते हैं तो यहां लग्न स्थान से तो स्थितियां बड़ी ही अलग बनती है। अब यहां देखते हैं कि दशमेश होकर गुरु खुद से द्वादश स्थान के अंदर आ चुके हैं तो जब भी यहां आएंगे तो कर्म का थोड़ा-बहुत व्यय होता है। वो भी भाग्य स्थान के अंदर तो सपोर्टिव एप्रोच नहीं मिल पाती। किन्तु गुरु यहां इस स्थिति के अंदर बैठ कर पांचवीं दृष्टि से राशि स्थान को देखेंगे सातवीं दृष्टि से पराक्रम में जो शुक्र द्वारा वृद्धि वाली स्थिति नहीं बन रही है वहां थोड़ी बहुत सपोर्टिव एप्रोच देंगे। साथ में राहू के द्वारा विचलित करने वाली स्थितियां हो सकती है उन्हें भी कंट्रोल करने का कार्य करेंगे। स्पोर्टस पर्सन को कई बार ऐज आदि के आधार पर दिक्कत आती है वो राहू यहां खुरापात कर सकते थे, गुरु उसे भी कंट्रोल करेंगे। खिलाड़ी है तब भी आप बड़े ही अच्छे से उन स्थितियों के अंदर आगे बढिय़े। भाग्योदय वाली स्थितियां है। गृहस्थ में बुध यहां डिस्टरबेंस करने वाले होंगे। नवविवाहित है तो भाग्य सपोर्टिव। थोड़े बहुत डिस्टरबेंस बुध द्वारा यहां पर परिलक्षित हो सकते हैं। मंगल भी यहां आठवीं दृष्टि से ही देखने का कार्य कर रहे हैं। गृहस्थ में ध्यान रखने की आवश्यकता है। केतु यहां पर लाभ स्थान के अंदर विराजित है। पुण्य फलों का उदय करने वाले होते हैं। फायदा उठाएं। कर्मशील रहिये। गर्भस्थ महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए और जो महिलाएं कामकाजी जीवन से जुड़ी हुई हैं उनके लिए भी बदलाव की स्थिति बड़ी हीअच्छे से सामने आ रही है। भाग्य को अपने कर्म क्षेत्र में प्रतीत होगी। ये भी विशेष स्थिति बनती है। इसके लिए आप सूर्य उपासना की ओर जाइये। दान आदि के लिए भी यह महीना महत्वपूर्ण है। इस हाथ को दिया दूसरे हाथ को मालूम नहीं चले, ऐसा दान आदि कार्य करे तभी सार्थकता है। संतुष्टि मिलेगी। गुरु प्रधान प्रकृति के जातक है इसलिए दान आदि के अंदर आपको संतुष्टि मिलती है। इसके साथ आगे बढिय़े तो आपके लिए अच्छा रहेगा।
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