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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

सबसे पहले परिवर्तन स्वीकारने वाला ही सबसे आगे बढ़ता है

मैं जिस शहर से बिलांग करता हूं उस शहर का नाम है जोधपुर। जोधपुर शहर की जब हार्ट लाइन क्रॉस करते हैं तब आपको तकरीबन 15 सालों से बंद पड़ी हुई एक दुकान दिखाई देती है जिस पर एक टेढ़ा-सा बोर्ड टंगा हुआ है और अंकित है ट्रांजिस्टर डॉक्टर। यानि रेडियो के मैकेनिक। ऐसा कहा जाता है कि 90 के दशक की शुरुआत में यह दुकान अपने पीक पर हुआ करती थी। उस समय कई लोग अपने टेलीविजन सैट लेकर इन महाशय के पास पहुंचते और कहते हैं कि सा’ब आपने टेलीविजन रिपेयर का भी काम शुरू कर दिया है क्या? वो स्पष्ट रूप से मना कर देते - मैं सिर्फ रेडियो का स्पेशलिस्ट हूं मेरा टी.वी. से कोई लेना-देना नहीं है, टी.वी. किसी और से रिपेयर करवाओ, मेरे पास में गुंजाइश नहीं है। कुछ साल बाद जब रेडियो का काम धीरे-धीरे कम होने लगा और रेडियो अपनी रफ्तार से कम होकर के इतिहास बनने की ओर अग्रसर थे तब इन महानुभाव के पास कुछ लोग मोबाइल लेकर भी पहुंचे और कहा कि सा’ब अब मोबाइल रिपेयरिंग का काम तो शुरू कर दीजिये। उन्होंने कहा कि रेडियो का दौर फिर से आएगा। ये नहीं कहा कि मैं मोबाइल सही नहीं करता। ये कहा कि रेडियो का दौर फिर से आएगा, और एक दिन देखना तुम लोग मेरे पास रेडियो फिर से लेकर आओगे। ये उनकी फ्रस्टेशन थी। धीरे-धीरे उस व्यक्ति ने अपने जीवन के साथ और समय के साथ कोई परिवर्तन नहीं किया, बदलाव नहीं किया और 2000 के दशक की शुरुआत आते-आते ये दुकान बंद हो चुकी थी। जबकि उसके पास में ही एक छोटी-सी रेहड़ी लगाने वाला आदमी जो सारे सैकिंड हैंड इलेक्ट्रोनिक आइटम रखा करता था, देखते-ही-देखते आज वो एक बहुत बड़े इलेक्ट्रोनिक शोरूम का मालिक है और जबकि जो 90 के दशक में रेडियो मैकेनिक के नाम से, रेडियो डॉक्टर के नाम से जो दुकान फेमस हुआ करती थी आज उसका व्यक्ति एक छोटी-सी जगह एक सर्विस कर रहा है, नौकरी कर रहा है और अपने जीवन के संघर्ष को आगे बढ़ा रहा है। कहने का अर्थ इतना ही है दोस्तो, कि जिसने जीवन के साथ लगातार परिवर्तन स्वीकार किये, वो नितांत रूप से आगे बढ़ता चला गया और खुद को डवलप करता चला गया। यानि एक्सेपटिबिलिटि बढ़ती गई। जब सोशल मीडिया अपनी दस्तक देने लगा था तब प्रत्येक मैच्योर व्यक्ति ने उसे सिरे से खारिज कर दिया और आज हमारे घर में बड़े-बुजुर्ग ये कहते हैं कि रिश्ता फाइनल करने से पहले एक बार फेसबुक के ऊपर या व्हाट्सऐप के ऊपर फलां व्यक्ति की फोटो देख लो। उसके बाद ही बात आगे चलाएंगे। ये एक्सेटिबिलिटि तो आई, लेकिन इसमें इतने साल लगा दिए कि लोग स्मार्ट फोन से स्मार्टर पर भी आएंगे और स्मार्टएस तक भी आएंगे। जो कारवां बेसिक फोन से शुरू हुआ था, खत से शुरू हुआ था वो आज स्मार्ट फोन तक तो पहुंच ही गया है और आगे स्मार्टस फोन तक भी पहुंचेगा, जो परिवर्तन को स्वीकार करेगा दुनिया उसे उसी तरह अपने साथ लेती जाएगी और आगे बढ़ाती चली जाएगी। जो स्थिर रह गया, रुक गया और अपने विचारों के प्रवाह को एक ताला लगाकर जिसने बंद कर दिया वो कहीं नहीं पहुंच पाएगा। मैं जिस क्षेत्र से बिलांग करता हूं ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र से वहां जब मिथुन और कन्या लगन की कुंडलियां आती है अर्थात बुध प्रधान जातक जब आते हैं तो उनकी एक्सपटिबिलिटि बहुत फास्ट होती है, चीजों को स्वीकार करने की क्षमता गजब की होती है हम उन्हें यह कहते हैं कि आपको एक्सपटिबिलिटि की जो रफ्तार है उसे थोड़ा-सा कम करने की आवश्यकता है। इतनी तेजी लाने की भी जरूरत नहीं है। जबकि उसके विपरीत जब मकर और कुंभ लगन की कुंडलियां हमारे सामने आती हैं जो शनि प्रधान जातक होते हैं शनि वैसे भी शनै: शनै: चलेती इति श्री शनैश्चर कहते हैं जिन्हें शनि कहा गया है उनकी रफ्तार बहुत स्लो है तो उस शनि प्रधान जातक की रफ्तार भी काफी हद तक स्लो होती है। हम उसे यही कहते हैं कि यदि जीवन के साथ तारतम्य स्थापित करना है थोड़ी-सी रफ्तार बढ़ाने की आवश्यकता है। ये दोनों पहलू बिलकुल विपरीत सिरे के हैं लेकिन यदि एक मध्य का मीडिल का सामंजस्य बैठाकर आगे बढ़ा जाए तो जीवन सरल और सुगम हो सकता है बड़ी ही आसानी के साथ। जब लोग कुंडली लेकर हमारे पास में आते हैं तो हम उन्हें एक तरह का ब्लाकेज होता है उनके सामने। हम उन्हें यही कहते हैं कि आगे आने वाला समय थोड़ा-सा संघर्ष का है। आगे आने वाला जो समय निकलेगा वो थोड़ा-सा संघर्ष का निकलेगा तो लोग घबरा जाते हैं और यही एक बात कहते हैं कि क्या बात कर रहे हैं साब। पंडितजी क्या बात कर रहे हैं। अब तकलीफें आने वाली जीवन में मेरा बुरा वक्त शुरू होने वाला है किसने कह दिया आपको कि आपका बुरा वक्त शुरू होने वाला है। संघर्ष का अर्थ कतई ये नहीं है कि आपके जीवन का ये बुरा वक्त है। संघर्ष का अर्थ इतना-सा ही है कि अब समय आपसे डिमांड कर रहा है ज्यादा भागने की, ज्यादा अवसरों को तलाश करने की और उसके बाद आगे बढऩे की। जिस व्यक्ति ने जीवन में संघर्ष किया है वो निखर के आया है। ये समय की डिमांड है और इसके बारे में ही ज्योतिषी बताता है और आपको एक्सपटिबिलिटि बढ़ाने के लिए कहता है। जो एक्सपटिबिलिटि बढ़ा लेता है उसकी जिन्दगी उसी प्रवाह के साथ आगे चलती चली जाती है तो बस आप जीवन में इसी तरह एक्सपटिबिलिटि बढ़ाते चले जाएं और एस्ट्रोलॉजी आपके जीवन का ज्योतिष आपके जीवन का इसी तरह मार्गदर्शन करती चली जाए इन्हीं उम्मीदों और आशाओं के साथ मिलता रहूंगा।

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