
सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म के माध्यम से, प्रिन्ट मीडिया से या फिर टेलीविजन के माध्यम से जब आप ज्योतिष संबंधी जानकारियां प्राप्त करते हैं तो मन में एक ही अभिलाषा होती है कि हमारे भावी जीवन जो आने वाला समय है किस तरह अनुकूल होगा, कौनसी ओपच्यूरनिटीज आने वाली है, जिन्हें हम एनकेश कर पाएंगे, साथ ही यदि कोई नेगेटिव टाइम आने वाला है तो उसे कैसे अवर्ट किया जाए, कैसे बचा जाए और सुगमता के साथ में संघर्ष वाली वो घड़ी पार कर ली जाए। आज इस नवग्रहीय व्यवस्था में मैं ऐसी ही एक महत्वपूर्ण ग्रह की चर्चा करने जा रहा हूं जो कि इम्र्पोटेंट ग्रह है यानि कि नपुसंक ग्रह है, हरित वर्णी है। जितनी भी वनस्पतियां आप आसपास देखते हैं उनमें जो हरा रंग है उन्हीं की वजह से मौजूद है यानि कि उनके कारकाधिपति होते हैं। मैं बात कर रहा हूं बुध ग्रह की, जिनके उपासक देव हैं विनायक। आप जब विनायक की उपासना करते हैं तो बुध ग्रह की शांति का भी कार्य एक तरह से करते ही करते हैं। बुध जैसा मैंने आपको बताया कि इम्र्पोटेंट प्लेनेट है, इसके साथ में ही ग्रहों के बीच एक सेतु बनाने का कार्य भी करते हैं। सेतु कैसे? जब सूर्य के साथ में बैठेंगे तो बुद्धादित्य योग बनाएंगे और शनि के साथ में भी अच्छी पोजीशन्स क्रियेट करने का ही कार्य करेंगे। सूर्य और शनि, जो कि आपस में आदर्श शत्रु हैं, लेकिन एक ब्रिज का कार्य करते हैं बुध। वैसे ही कम्युनिकेशन भी एक ब्रिज है। आप किसी भी व्यक्ति से बात करते हैं तो आप की भाषा का सम्प्रेषण भी एक ब्रिज का कार्य करता है। सी.ए. सी.एस. का फील्ड जितने भी कम्युनिकेशन के फील्ड के साथ में मास मीडिया का फील्ड है, प्रिन्ट मीडिया का फील्ड है या फिर बिजनस में जो फाइनेंशियल केलकुलेशन की जाती है। यदि व्यक्ति गुरु प्रधान है तो शिक्षा के क्षेत्र में बिजनस की ओर जा सकता है। यदि शनि प्रधान जातक है तो वो कंस्ट्रक्शन का फील्ड हो गया, रियल एस्टेट का फील्ड हो गया, लोहे संबंधित फील्ड की ओर जा सकता है, लेकिन बुध की पोजीशन को बिजनस के लिए देखना बहुत ही अधिक आवश्यक है क्योंकि जो केलकुलेशन देने का कार्य करते हैं। स्टेटस को समझाने का कार्य करते हैं इसके साथ में बिजनस में जो मैनेजमेंट होता है। मेन मैनजमेंट और वर्क मैनेजमेंट। उसके भी आधिपति होते हैं बुध। तो इस तरह इन सारे के सारे महत्वपूर्ण जो हमारे जीवन के भाग हैं उनकी एक तरह से कारकाधिपति हो गए ये ग्रह। बुध जो कि मिथुन और कन्या राशि में स्वग्रही होते हैं। मिथुन और कन्या की जब हम बात करते हैं यदि मिथुन लग्न की और कन्या लग्न की कुंडली हो तो आप देखेंगे कि वो व्यक्ति छरहरे बदन वाला होता है यानि बॉडी स्ट्रक्चर ऊपर से नीचे, टोर्स की बात कर लीजिये, बैक पोर्सन की बात कर लीजिये सब कुछ आपको एक जैसा दिखाई देगा आप उसके चेहरे से और उसके व्यक्तित्व से उसकी उम्र का पता नहीं लगा पाएंगे। मिलनसारिता का गुण बहुत अधिक विद्यमान होगा आप किसी ट्रेन के डिब्बे में बैठे हुए हैं और वहां पर सब कुछ शांत चित्त माहौल के साथ चल रहा है, लेकिन यदि बुध प्रकृति प्रधान व्यक्ति है तो वो सबसे बातचीत भी शुरू कर देगा और सबको इस तरह से अपना बना लेगा कि जैसा उनसे सालों से मुलाकात चल रही थी। कोई बिजनस एक्जीक्यूटिव है जिसे अपने अपर मैनेजमेंट से भी कार्य करवाना है और उसके साथ में जो नीचे कस्टमर्स की जो चैन है और अपने नीचे के सब आर्डिनेट्स है उनके बीच में भी एक ब्रिज बनाकर चलना है तो ऐसे व्यक्ति बुध प्रकृति प्रधान होते हैं। ये मीन राशि में नीचस्थ होते हैं वहीं कन्या में मैंने जैसा आपको बताया कि उच्चस्थ होने के साथ-साथ मूल त्रिकोण राशिस्थ भी होते हैं। यदि ये चतुर्थ भाव में बैठ जाएं तो वहां पर इन्हें नेष्ट माना गया है यानि कि सुख का हनन करने वाले होते हैं। रोग स्थान में जहां बैठ जाएं तो थाइराइड बढ़ाने वाले होते हैं। याद रखिये, इसके लिए मैंने एक अलग से पूरा एपिसोड भी लिया है, एक सीरिज ली है कि बुध 12 भावों में किस तरह के फल करते हैं। आप यदि 12 भावों के बारे में बुध जब बैठे हुए हों या फिर सूर्य के साथ में युति करते हुए हों, शुक्र के साथ में युति करते हुए हों तो कैसे फल देते हैं। उनके बारे में चर्चा मैंने अलग से की है। आज मेरा ये एपिसोड बुध की प्रकृति के साथ में जब इनकी दशा आती है तो उनके लिए कैसे उपाय किए जाएं उसको समर्पित है। तो मैं बात कर रहा था कि यदि षष्ठ स्थान में बैठ जाए तो थाइराइड संबंधी परेशानियां देने का काम करते हैं। इम्र्पोटेंट प्लेनेट होने की वजह से जिस भी दूसरे प्लेनेट के साथ यानि कि जिस भी दूसरे ग्रह के साथ ये बैठेंगे तो उसकी प्रकृति को खुद के भीतर समावेशित करने का कार्य करेंगे। मंगल के साथ बैठेंगे तो उस तरह की प्रकृति, चन्द्रमा, मंगल और गुरु के साथ में जब ये शत्रुवत संबंध रखते हैं तो इतने अच्छे रिजल्ट नहीं देते। इसके विपरीत जब शुक्र के साथ बैठ जाएंगे, शनि के साथ बैठ जाएंगे, राहु के साथ बैठ जाएंगे, केतु के साथ बैठ जाएंगे। सूर्य के साथ तो बुद्धादित्य योग बनाते हैं ही तो वहां पर अच्छे रिजल्ट देने का कार्य करते हैं। राहू के लिए तो यहां तक कहा गया है कि यदि राहू दोषपूर्ण पोजीशन में हमारे कुंडली के 12 भावों में विद्यमान हो तो हमें बुध की उपासना करनी चाहिए जिससे राहू कंट्रोल एप्रोच में आते हैं और उनके दुष्प्रभाव समाप्त होने लगते हैं। अब हम बात करते हैं इनकी दशा की। यदि कोई व्यक्ति व्यापार में इनवाल्व होने की पोजीशन के ऊपर अग्रसर है और बुध की दशा आ जाए तो वो अच्छा व्यापारी बन सकता है। यदि इसके साथ में वो विनायक की उपासना शुरू करे जैसा कि मैंने आपको बताया था हरित वर्णी द्रूवा। द्रूवा त्रिगुण दोष निरोधात्मक स्थितियां उत्पन्न करती है हमारे जीवन में। तो आप किसी बाग-बगीचे से द्रूवा लेकर आएं। द्रूवा पर एक मोली की गांठ बांध दें उनके साथ यदि थोड़ा-सा रक्त चंदन लगा दिया जाए और विनायक के चरणों में ये द्रूवा समर्पित की जाए और आशीर्वाद मांगा जाए तो ये दशा हमारे लिए बहुत ही सफल देने वाली होती है। विनायक के बारह नाम-सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:। लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक:। धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:। द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि। विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा। यानि कि ये 12 नाम जो शुरुआत में मैंने लिए उनकी यदि स्तुति के रूप में उपासना कार्य पद्धति में कर लिया जाए इन मंत्रों का। तो बड़े ही अच्छे रिजल्ट मिलते हैं उस दशा के भीतर। अब जब बुध में बुध की दशा आ जाए और बुध मजबूत पोजीशन में बैठे हुए हों तो उसे स्ट्रगलिंग प्वाइंट में लाने का कार्य करते हैं। इसके साथ में जैसे-जैसे अंतर दशाएं चलती रहती है वैसे-वैसे फल फलिभूत होते चले जाते हैं। लेकिन विशेष तौर पर हमे ध्यान रखना चाहिए कि जब बुध में चन्द्रमा का अंतर आए, बुध में मंगल का अंतर आए और बुध में गुरु का अंतर आए तो मानसिक यंत्रणा भी देने का कार्य करते हैं बुध। यानि कि आपकी जो बुद्धि है उसे इतनी सकारात्मक नहीं रहने देते, एकाग्रचित्तता का जो पूर्ण आपके भीतर विकसित होना चाहिए, अंतर चेतना से जो विश्वास निकलना चाहिए वो क्षीण होने लगता है बुध जब इन ग्रहों के साथ में अपनी अंतर दशा को पूर्ण करते हैं तब। तो यदि दशा बुध की हो और इनकी अंतर दशा आ जाए तो विशेष तौर पर हमें ध्यान रखना चाहिए। अब जब बुध कमजोर पोजीशन में बैठे जाएं। हम किसी व्यापार से जुड़े हुए हैं या फिर सर्विस इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। तो मैं आपको एक मंत्र बताने जा रहा हूं विनायक की उपासना के साथ में इस मंत्र की उस समय व्यक्ति को पन्ना भी पहनना चाहिए सवा पांच रति का। यदि वो पन्ना पहने तो सोने में सुगंध का कार्य होता है और यदि ये मंत्र-ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं स: बुद्धाय नम: ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रूं स: बुद्धाय नम:। इसका एक माला के रूप में जाप किया जाए तो व्यक्ति अच्छे फलों की तरफ आगे बढऩे लगता है। जो बुध कमजोर पोजीशन में बैठे हुए हैं या फिर किसी ऐसे शत्रु क्षेत्री ग्रह के साथ में बैठे हुए हैं जहां पर अपना रिजल्ट नहीं दे पाएंगे तो उस समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। आपको सुगम रिजल्ट मिलना शुरू होते हैं।
Comments
Post a Comment