Featured Post

नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

वैशाख माह में दान का महत्व

20 अप्रैल 2019 से शुरू हुए वैशाख मास पर गुरु का प्रभाव माना जाता है। हिंदी कैलेंडर का ये दूसरा महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अप्रैल - मई में आता है। विशाखा नक्षत्र से सम्बन्ध होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा। इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी की उपासना विशेष रूप से की जाती है। कहते हैं कि इस माह विधि विधान से पूजा करने पर धन और पुण्य की प्राप्ति होती है। पूरे साल में केवल एक बार इसी महीने श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं। इस महीने में गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। ये महीना 20 अप्रैल से 18 मई तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैशाख माह में दान पुण्य का भारी महत्व होता है।
दान पुण्य करें- वैशाख को पुण्य प्राप्ति का माह मानते हैं इसीलिए इस महीने में दान करने का बहुत महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने दान करने से गरीबी से मुक्ति मिलती है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. मान्यता है कि वैशाख के महीने में पूजा आराधना कर के जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. पुराणों में कहा गया है कि न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्। जिसका अर्थ है कि वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। माना जाता है कि जितना पुण्य सब दानों से मिल कर होता है और जो फल सब तीर्थों के दर्शन से मिलता है, उसके बराबर पुण्य और फल की प्राप्ति वैशाख मास में केवल जलदान से हो जाती है, इसलिए इस माह में प्याऊ खुलवाना सर्वोत्म माना जाता है।
मुख्य व्रत और त्यौहार- वैशाख महीने में अनेक व्रत और त्यौहार आते हैं।
वरुथिनी एकादशी- वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत 30 अप्रैल को मंगलवार के दिन है।
वैशाख अमावस्या- अमावस्या को स्नान दान व तर्पण के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख अमावस्या 4 मई को है। इस दिन शनिवार होने से यह शनि अमावस्या भी है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
अक्षय तृतीया- वैसाख मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का ही माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने अवतार लिया था। भगवान परशुराम की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। अक्षय तृतीया अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 7 मई को है।
सीता नवमी- वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनायी जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता धरती मां की कोख से प्रकट हुई थी जो हल जोतते समय मिथिला नरेश जनक को मिली थी और जनकपुत्री के रूप में जानी गई। माता सीता को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना जाता है जिन्होंने भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के लिये अवतार धारण किया। सीता नवमी 13 मई को मनाई जायेगी।
मोहिनी एकादशी- वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का उपवास भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना व व्रत आदि का विधान है। मोहिनी एकादशी 15 मई को है।
वैशाख पूर्णिमा- पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन माना जाता है। पूर्णिमा को उपवास रखने का विधान भी होता है। इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी होती है। वैशाख मास की पूर्णिमा 18 मई को है।
वैशाख माह में मन्त्रों का करें जाप- वैशाख माह में लाभ प्राप्ति के लिए विभिन्न मंत्रों के जाप का महत्व होता है। जैसे आर्थिक लाभ के लिए ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नम: का जाप करें। संतान प्राप्ति के लिए ऊँ क्लीं कृष्णाय नम: और सर्वकल्याण के लिए ऊँ नमो नारायणाय का जाप करना चाहिए।

Comments

Popular Posts

हरे कृष्ण महामंत्र की महिमा

22. वेद : रोग निवारण सूक्तियां

लघु बीजात्मक दुर्गा सप्तशती