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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में...

जीवन का मूल्य क्या है?

व्यक्ति की प्रतिष्ठा का आकलन उसके जीवन-मूल्यों से किया जाता है। जीवन-मूल्य सफलता के लिए जरूरी हैं। वैदिक काल से होते हुए, गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी तक अनेक महापुरुष जीवन-मूल्यों के कारण इतिहास में अमर हो गए। जीवन मूल्य व्यक्ति को सकारात्मक बनाते हैं। जो व्यक्ति मूल्यहीन जीवन जीते हैं वे समाज में व्यर्थ माने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज के लिए बोझ माने जाते हैं। निठल्ले व्यक्ति समाज का कभी भी मार्ग-दर्शन नहीं करते। मूल्यहीन व्यक्ति की जिंदगी पंगु मानी जाती है, जिसमें कोई गति और निरंतरता नहीं होती और सिद्धांतों के अभाव में ऐसे लोग महत्वहीन, अनुपयोगी और परिवार के लिए बोझ स्वरूप होते हैं। सिद्धांत और मूल्य जीवन को ऊर्जा देते हैं। नियम जीवन को अनुशासित करते हैं। ये जीवन के आधारभूत तत्व हैं। अनियमित व्यक्ति जीवन के किसी क्षेत्र में सफल नहीं माना जाता। संसार के सभी महापुरुष या सफलतम व्यक्ति अपने ऊंचे आदर्शों और मान्यताओं के कारण ही समाज में गाथा बनकर अपना नाम रोशन करते हैं। समाज सर्वदा ऐसे लोगों का अनुकरण करता है। जीवन में मूल्यों का क्या स्थान था। इस संदर्भ में एक लघु कथा जिससे जीवन के मूल्यों का आभास होता है।
एक आदमी ने भगवान बुद्ध  से पुछा- जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध  ने उसे एक पत्थर दिया और कहा- जा और इस पत्थर का मूल्य पता करके आ, लेकिन ध्यान रखना पत्थर को बेचना नही है।
वह आदमी पत्थर को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला- इसकी कीमत क्या है?
संतरे वाला चमकीले पत्थर को देखकर बोला, 12 संतरे ले जा और इसे मुझे दे जा।
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा- एक बोरी आलू ले जा और इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जा।
आगे एक सोना बेचने वाले के पास गया उसे पत्थर दिखाया, सुनार उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला, 50 लाख में बेच दे।
उसने मना कर दिया तो सुनार बोला- 2 करोड़ में दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे दे दूंगा। उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है।
आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे पत्थर दिखाया- जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा, तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका। फिर जौहरी बोला, कहां से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है।
वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध  के पास आया- अपनी आप बिती बताई और बोला- अब बताओ भगवान, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध  बोले- संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत 12 संतरे की बताई। सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत 1 बोरी आलू बताई। आगे सुनार ने 2 करोड़ बताई और जौहरी ने इसे बेसकीमती बताया। अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है।
तू बेशक हीरा है..! लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत, अपनी औकात- अपनी जानकारी-  अपनी हैसियत से लगाएगा। घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

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