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Showing posts from October, 2018

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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में दो

हीरा, गोमेद व लहसुनिया रत्न को चार्ज कर प्रभावी बनाएं

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नमस्कार। किस प्रकार पहने हुए रत्नों का प्रभाव कम होने लगता है तो उन्हें हम अभिमंत्रित कौन सी विधि से करें। इस बारे में अलग-अलग Episodes के माध्यम से जानकारी दी है। जिस तरह चन्द्रमा के मुख्य रत्न है मोती। मंगल का मूंगा, बुध का पन्ना और इसके साथ में सूर्य की यदि बात की जाए तो माणक्य पहनने की सलाह दी जाती है। शनि के लिए नीलम। नीलम पहनते समय सावधानी बरतनी चाहिए। ये अलग-अलग Episodes के माध्यम से मैंने जानकारी दी है। आज जिन ग्रहों के रत्नों को चार्ज करने की विधि बड़ी ही सरल है उसके बारे में मैं एक ही एपिसोड में चर्चा करने जा रहा हूं। शुक्र का जो मुख्य रत्न है Diamond जिसे हीरा कहा जाता है, संस्कृत में वज्र मणि कहते हैं। इसकी सबसे पहले चर्चा कर लेते हैं। जब भी शुक्र कुंडली के 12 भावों में कमजोर पोजिशन में बैठे हुए हों या फिर कोई व्यक्ति मधुमेह नाम के रोग से यानि की डायबिटिज से ग्रसित हो या फिर दांतों की तकलीफ से वो 2-4 हो रहा है तो उसे हीरा पहनने की डायमंड पहनने की सलाह दी जाती है या फिर भौतिक सुख-सुविधाओं में बहुत अधिक कमी यदि व्यक्ति महसूस करे तो उसे भी डायमंड पहनने की सलाह दी जाती है जि

माणक्य को कैसे अभिमंत्रित करें

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नमस्कार। सूर्य जिन्हें इस नवग्रहीय व्यवस्था में आत्मा का कारक बताया गया है, प्राण तत्व संचारित करने वाला मुख्य ग्रह बताया गया है। इसके बिना सृष्टि के विकास क्रम को आगे बढ़ाना संभव नहीं है। जब भी हम सूर्य जो कि प्रकाश ग्रह है उनकी व्याधियों से ग्रसित होते हैं तो माणक्य पहनने को कहा जाता है। जब भी आप सिरदर्द की तकलीफ से, अनिद्र की तकलीफ से, लो कांफिडेंस से इसके साथ-साथ हार्ट बंद की समस्याओं से जूझते हैं, हृदय विकार संबंधी समस्याओं से जूझते हैं, पराक्रम में कमी महसूस करते हैं या फिर आत्मविश्वास बिलकुल गर्त में गया हुआ महसूस करते हैं तो आपको माणक्य पहनने के लिए कहा जाता है। यदि सूर्य योग कार्य पोजिशन में बैठे हुए कुंडली में या फिर भाग्येश हो तब भी माणक्य धारण करने के लिए कहा जाता है। आपने माणक्य धारण कर लिया है उसने बड़े ही अच्छे रिजल्ट दिए, लेकिन आपने धीरे-धीरे देखा कि उसके प्रभाव में कमी आने लगी है। उस समय आप उस रत्न को चेंज मत कीजिये, चार्ज कीजिये। माणक्य को चार्ज करने की विधि क्या है, मैं आज आपके समक्ष इसकी चर्चा करूंगा। मैंने चन्द्रमा, इनके जो रत्न है मोती उनके लिए जब एपिसोड लिया थ

शश योग- शनि से संबंध और कौन से प्रभाव डालता है

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नीलाञ्जनम समा भाषाम रवि पुत्रम् यमागर्जम छाया मार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैच्चरम:। हे शनिदेव! आपके जैसे विराट आभामंडल वाले ग्रह को बारम्बार नमन करते हैं जो महान्यायाधिपति हैं, सूर्य पुत्र हैं, लेकिन प्रकृति में विपरीत होने की वजह से आदर्श शत्रु हैं। भौतिकता की यानि मेटेरियल एस्टेट की अंधी खाई में धकेलते हैं। संघर्षों और झंझावतों से निकाल कर व्यक्ति को जीवन के यथार्थ समझाने का कार्य करते हैं शनि देव। जब भी कोई व्यक्ति शनि देव की दशा भुगत लेता है या फिर मकर या कुंभ लगन प्रधान यानि शनि प्रधान कुंडली हो। ऐसा व्यक्ति यदि कहे कि जीवन में संघर्ष आते-जाते रहते हैं तो दुख क्या है तकलीफें क्या है। सुख-दुख आने-जाने हैं। यदि ऐसा व्यक्ति ये बात कहे शनि प्रधान जातक ये बात कहे तो निश्चित तौर पर मान लेना चाहिए कि वो आधारभूत सत्य है, अनुभव और अनुभूति के बलबूते वो ये बात कह रहा है क्योंकि उसने ऐसी परिस्थितियां भुगती होंगी और उसके बाद में जिन परिस्थितियों के साथ वो संघर्ष कर रहा है, या आगे जाकर खड़ा हो गया है वो उसने खुद ने कठिन परिश्रम के साथ में हासिल की हुई चीजें हैं। इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति कहत

दीपावली पूजन मुहूर्त एवं विधि

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नमस्कार। दीपावली पूजन की विधि क्या है?  और इसके साथ में कौन सा है दीपावली का सर्वश्रेष्ठ पूजन मुहूर्त। ये चर्चा हमें दीपावली से पहले कर लेनी चाहिए और यह जानकारी पूर्णरूपेण हमें प्राप्त हो जानी चाहिए। इसीलिए मैं अभी इस समय आपके समक्ष यहां उपस्थित हूं। इस बार वर्षभ लगन का मुहूर्त है शाम 6 बजकर 19 मिनट से रात्रि 8 बजकर 15 मिनट के मध्य और इसके बाद में सिंह लगन का मुहूर्त है रात्रि 12 बजकर 46 से 3 बजकर 2 मिनट के मध्य। वृषभ और सिंह लगन है इसमें हमें महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना सम्पन्न कर लेनी चाहिए। अब आप यदि किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान से जुड़े हुए हैं यदि आप मालिक है किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान के। या आपको वहां पूजा-अर्चना करवानी निश्चित रूप से आवश्यक होती है तो ये निर्णय आपके ऊपर Depend करता है कि आप वहां उस व्यापारिक प्रतिष्ठान में कब पूजा-अर्चना पूर्ण करेंगे और अपने घर पर कब करेंगे ये तयशुदा रूप में निर्णय आपका रहता है यदि आप नौकरीपेशा व्यक्ति है और उस दिन आपको किसी Office की तरफ जाने की आवश्यकता नहीं रहती तो आप इस पूजा पद्धति को अपने हिसाब से दोहरा सकते हैं। दोनों ही लगन श्रेष्ठ है। जो भी

दीपावली-2018 से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियां

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नमस्कार। दीपावली महापर्व पर हमें किन बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिये। किस तरह पूजा-पद्धति को आगे बढ़ाना चाहिये। इसकी समग्री जानकारी लेकर मैं आप सभी के समक्ष यहां उपस्थित हूं। जिंदगी की आपाधापी में प्रत्येक व्यक्ति संघर्षशील है और इसके साथ ही नित नए मुकाम खोज रहा है और यही सोचता है कि एक दिन ऐसा आए जब मां श्री की कृपा पूर्ण रूप से मेरे ऊपर बरसे। मैं आरोग्य सहित जीवन जी पाऊं। मेरा बाह्य और आंतरिक आवरण लगातार रूपवान होता चला जाए जिस तरह श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है उसी तरह मेरे जीवन में भी विकास का क्रम लगातार चलता रहे। जब श्री रामचन्द्र जी अयोध्या पधारे थे तो उस समय कैसा प्रकाश उत्सव था। चारों ओर अनन्त प्रकाश। दीये ही दीये जल रहे थे। वैसी ही प्रकाश उत्सव मेरे जीवन में सदैव विद्यमान रहे। ये सारी की सारी कामनाएं और विशिष्टताएं लिए पंच महादिवसीय त्योहार हम सभी के समक्ष उपस्थित होने वाला है, आने वाला है। हमें धनतेरस से लेकर भैय्या दूज तक किस तरह अपनी पूजा-पद्धति को आगे बढ़ाना चाहिए जिससे मां श्री का वास हो। आरोग्य सहित जीवन जी पाएं। रूपवान हो पाएं। पूजा के दिन हमें क्

धनतेरस पर राशि के अनुसार क्या करनी चाहिए खरीदारी?

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नमस्कार। पंच दिवसीय महापर्व दीपोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। धनतेरस के दिन राशि अनुसार जातक क्या खरीदे और अक्षय संचय के रूप में कौन सी धातु अपने घर में संचित करके रखें जिससे मां लक्ष्मी स्थिर कदमों के साथ हम सभी के घरों में विराजे। धनतेरस के दिन ही यम दीप दान कैसे करें। इस बार धनतेरस 5 नवम्बर, 2018 को है और जो इलेक्ट्रोनिक गेजेट्स जिन धातुओं की मैं बात कर रहा हूं वो ही हम क्यों खरीदें। इसकी भी समग्र चर्चा लेकर मैं आपके समक्ष यहां उपस्थित हूं। जैसा कि मैंने आपको बताया धनतेरस 5 नवम्बर, 2018 को है। यद दीप दान भी इसी दिन किया जाता है। इसके अगले दिन रूप चतुर्दशी जिसे हम नरक चौदस के रूप में भी जानते हैं, अगले दिन अमावस्या  मां लक्ष्मी का महापर्व दीपावली। महालक्ष्मी पूजा इसी दिन संपन्न की जाती है। वृषभ लगन और सिंह लगन में क्यों इसकी जानकारी मैं अलग एपिसोड के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगा। उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भैया दूज के साथ इस पंच दिवसीय महापर्व का समापन हो जाता है। लाभ पंचमी और एकादशी और पूर्णिमा भी प्रमुख त्यौहारों में है। लेकिन धनतेरस से लेकर भैया दूज तक पं