Posts

Showing posts from December, 2018

Featured Post

नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में दो

Intersting Fact of Dhritrasta

महाभारत में धृतराष्ट्र अंधे थे। यह तो सर्वविदित है, लेकिन इसके पीछे कारण क्या था, शायद कम लोग ही जानते होंगे। दरअसल, उन्हें यह अंधापन पिछले जन्म में मिले एक श्राप के कारण मिला था। धृतराष्ट्र ने ही गांधारी के परिवार को भी मरवाया था। धृतराष्ट्र थे जन्म से अंधे महाराज शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र हुए विचित्रवीर्य और चित्रांगद। चित्रांगद कम आयु में ही युद्ध में मारे गए। इसके बाद भीष्म ने विचित्रवीर्य का विवाह काशी की राजकुमारी अंबिका और अंबालिका से करवाया। विवाह के कुछ समय बाद ही विचित्रवीर्य की भी बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। अंबिका और अंबालिका संतानहीन ही थीं तो सत्यवती के सामने यह संकट उत्पन्न हो गया कि कौरव वंश आगे कैसे बढ़ेगा। वंश को आगे बढ़ाने के लिए सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास से उपाय पूछा। तब वेदव्यास से अपनी दिव्य शक्तियों से अंबिका और अंबालिका से संतानें उत्पन्न की थीं। अंबिका ने महर्षि के भय के कारण आंखें बद कर ली थी तो इसकी अंधी संतान के रूप में धृतराष्ट्र हुए। दूसरी राजकुमारी अंबालिका भी महर्षि से डर गई थी और उसका शरीर पीला पड़ गया था तो इसकी संतान पाण्डु हुई। पाण्डु जन्म से

गुरु प्रदोष व्रत कथा

व्रत एवं उन्हें करने पर विभिन्न फलों को लेकर कई मान्यताएं बनी हुई हैं। प्रत्येक व्रत के एक स्वामी कोई देवी या देवता होता है। हर एक व्रत की अपनी व्रत एवं पूजन विधि होती है, जिसका पालन करना अति आवश्यक माना गया है। वैसे तो यह व्रत साल में कई बार आता है, लेकिन हर बार इसका महत्व एवं व्रत से मिलने वाला फल भिन्न होता है। जिस वार को प्रदोष आती है, उस दिन विधिवत शिव जी पूजा-उपासना के पश्चात पुराणों के अनुसार उसी वार की कथा का श्रवण-मनन करने से फलों में वृद्धि करने वाला साबित होता है। व्रत कथा स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया, लेकिन वह नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है। दरअसल वह बालक विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था, जिसे शत्रुओं ने उसके राज्य से बाहर कर दिया था। एक भीषण युद्ध में शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। तत्पश्चात उसकी माता की भी मृत्यु हो गई। राज्य भी छिन गया था। नदी किनारे बैठा वह

प्रदोष व्रत 03 जनवरी 2019: शत्रुओं से मुक्ति के लिए करें व्रत-पूजन

Image
English तारीख के कलैण्डर के अनुसार 1 जनवरी, 2019 को नया साल प्रारम्भ हो गया। नया साल हर किसी के लिए नई उमंग, नया जोश और नई ऊर्जा वाला माना जाता है। साथ ही साथ हिन्दू पंचांग के अनुसार इस समय मार्ग शीर्ष मास चल रहा है और नए दिन की शुरुआत कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत के साथ हुई है। ये एकादशी सफला एकादशी के रूप में मनाई जाती है, जिसमें व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने पर सफलता और मनोवांछित फलों की प्राप्ति का शास्त्रोक्त वर्णन मिलता है। अब 3 जनवरी, 2019 त्रयोदशी को प्रदोष व्रत का महात्म्य है। मार्गशीर्ष (माघ) महीने में पडऩे वाला प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और मनोकामना पूर्ति के लिए बेहद खास माना गया है। इस बार त्रयोदशी गुरुवार को आ रही है। प्रदोष व्रत में पडऩे वाले वारों का भी विशेष महत्व होता है। इसके अनुसार ही उसकी पूजा और व्रत कथाएं प्रचलन में आती है। इस बार गुरुवार को पडऩे वाले प्रदोष व्रत में शत्रुओं से मुक्ति के लिए बेहद खास माना गया है। प्रदोष व्रत के विषय में शास्त्रीय मान्यता है कि जिस भी दिन यह व्रत आता है, उसके आधार पर इस व्रत का नाम और महत्व बदलता जाता है। मान्यता के अनुसार यदि

धन प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

जीवन में धन अर्जित करने की चाह सभी में होती है। मानव जीवन में धन उनकी भौतिक जरूरतों को ही पूरा नहीं करता अपितु उन्हें समाज में मान-सम्मान भी दिलाता है। जीवन में सुख-दु:ख तो आते ही रहते है दु:ख के समय में यदि आर्थिक संकट भी आ जाये तो दुखों से संघर्ष करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानव जीवन में धन का महत्व इतना अधिक है कि बिना धन के अपने सगे-संबधी भी साथ छोडऩे लगते है। सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति व्यवसाय में हानि का सामना करता है। किसी दुर्घटना के कारण आर्थिक समस्या का सामना करता है। कभी -कभी परिवार में आर्थिक समस्या का कारण ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव या परिवार के मुखिया के कुंडली दोष भी हो सकते हैं। कमजोर आर्थिक स्थिति को घर-परिवार में नियमपूर्वक कुछ सरल उपायों को अपना लिया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि लाने में आपकी मदद कर सकते हैं। नियमों की पालना और उनकी नियमितता अपने संकल्प और विश्वास से फलीभूत होते हैं। * धन प्राप्ति के लिए सोमवार या शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करें। * घर के ईशान कोण (दिशा) में गंदगी जमा न होने दे व सदैव घर को साफ

1 जनवरी, 2019 को पौष माह की सफला एकादशी व्रत

Image
1 जनवरी को नया साल प्रारंभ हो रहा है। मन में स्वाभाविक तौर पर विचार उठते हैं कि कैसा रहेगा साल? ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाएं क्या परिवर्तन लाएगी? व्रत-त्यौहार क्या रहेंगे और इनका फल कैसे प्राप्त कर सकते हैं। अंग्रेजी तारीखों के अनुसार साल परिवर्तन की यह पहली तारीख है और हिन्दी पंचांग के अनुसार पौष माह कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे सफला एकादशी भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही इसकी महत्ता प्रकट होती है कि सफला यानि सफलता की प्रतीक। वर्ष भर उन्नति का मार्ग प्रशस्त रहे इसके लिए इस सफला एकादशी का व्रत विधि-विधान पूर्वक करते हुए इसकी कथा का श्रवण भी महात्म्य कारक माना गया है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हिन्दू धर्म में कहा गया है कि संसार में उत्पन्न होने वाला कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है जिससे जाने-अनजाने पाप नहीं हुआ हो। पाप एक प्रकार की गलती है जिसके लिए हमें दंड भोगना होता है। ईश्वरीय विधान के अनुसार पाप के दंड से बचा जा सकता हैं अगर एकादशी का व्रत रखें। एकादशी क

वृश्चिक लग्न की कुंडली में योग कारक स्थितियां

Image
वृश्चिक लग्न की कुंडलियों में ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाएं क्या प्रभाव डालती है और उससे कैसे फल निक्षेपित होते हैं। मार्केश, पंचमेश होकर गुरु क्या प्रभाव डालते हैं। लग्नेश और भाग्येश के साथ-साथ जीवन में आने वाली सुखद और कमजोर स्थितियों का एक विश्लेषण। वृश्चिक लग्न के जातक आत्मविश्वासी होते हैं। इनका औरा एक आवरण लिए होता है। खुद के अनुभव से अपने जीवन का निर्वाह करने वाले होते हैं। मंगल प्रधान जातक की दृष्टि से मंगल लग्न स्थान में बैठ जाए तो व्यक्ति साहसी, आत्मविश्वासी और निर्णय की क्षमता सटीक रहती है। साथ में षष्टेश होने से रोग, शत्रु का स्थान भी होने से दो भागों में विभक्त होता है तब न्यूनता रहती है। ऐसे में भाग्य में संघर्ष की स्थिति भी देते हैं। मंगल व्यक्ति को कमजोर स्थितियों से निकालकर मजबूती भी प्रदान करने वाले होते हैं। लग्नेश होकर पंचम में आ जाए तो शिक्षा में बढिय़ा परिणाम मिलता है। जैसे इंजीनियरिंग या इससे संबंधित क्षेत्र में परिणाम अच्छे मिलते हैं। चौथी दृष्टि से बुध की राशि होते हुए भी जातक को पी.एच.डी., रिसर्च या अनुसंधान में अग्रसर हो जाए तो शानदार परिणाम वाला होता है। कारकाध

संघर्ष का परिणाम सफलता

जीवन जहां है वहां संघर्ष अवश्यम्भावी होता है। जीवन में लगभग सभी संघर्ष से रूबरू जरूर होते हैं। कई इसे बड़े ही अच्छे ढंग से जीवन में तालमेल बिठाकर आगे निकल जाते हैं तो कई संघर्ष के भय से अपना लक्ष्य छोटा कर लेते हैं और कुछ संघर्ष से हार कर बैठ जाते हैं। ऐसे में यदि दृढ़ संकल्प के साथ संघर्षों का मुकाबला करना सीख जाए और इसे अपने जीवन की चर्या बना लें तो फिर लक्ष्य पाने में कोई रुकावट टिक नहीं पाएगी। संघर्ष को जीवन में आत्मसात करने के लिए जरूरी है- हमेशा बड़ा सोचो ज्यादातर लोग अपना Goal बहुत ही छोटा तय करते हैं और उसे प्राप्त कर खुश हो जाते हैं जबकि कुछ लोग बहुत बड़ा Goal पाने की कोशिश तो करते हैं लेकिन हासिल नहीं कर पाते। इसलिये आप अपना Goal काफी सोच समझ कर तय करें और बड़ा सोचें। जो अच्छा लगता है और उसी काम को करें काम यदि आपकी रुचि के अनुसार होता है तो आप उसमें अपना 100 Percent देते हैं। यदि आप अपना काम अच्छे से करते हैं और इसके बदले आपको कुछ भी नहीं मिलता है तो आप समझिये कि आप सफलता के मार्ग पर अग्रसर हैं। संतुलन बनाना सीखें हमारे जीवन में निरंतर कई तरह की लड़ाईयां चलती रहती हैं; पारि

तुला लग्न की कुंडली में योग कारक स्थितियां

Image
तुला लग्न के जातकों के लिए लग्न कुंडली में क्या स्थितियां निर्मित होती है। इसकी चर्चा विश्लेषण। ग्रह की स्थितियां कैसी रहती है। बाधक ग्रह कौन से होते हैं। भाग्येश और लग्नेश की दशा क्या प्रभाव बताती है। शनि चतुर्थेश और पंचमेश होने से क्या फल देते हैं। गुरु पराक्रमेश और षष्टेश होकर क्या परिणाम देते हैं। भाग्येश और व्ययेश होकर नवें और दसवें के आधिपति होकर बुध किस तरह फल देने वाले होते हैं। चन्द्रमा जहां विराजित हों वहां चन्द्र लग्न कुंडली का निर्माण कर लिया जाता है। जन्म के समय जातक के ग्रहीय व्यवस्थाएं किस तरह की स्थितियों को दर्शाती थी, वो लग्न कुंडली है। इस राशि के जातक विनम्र और मृदुभाषी स्वभाव के होते हैं। मित्रता अच्छी निभाते हैं। मंगल अगर विपरीत स्थिति में बैठे हुए हों यानि शत्रु कारक स्थितियां का निर्माण करते हों तो कई बार वाणी के अंदर दिक्कत देने का काम करते हैं। यानि जहां कर्कश होने की आवश्यकता नहीं होती वहां ऐसे जातक कर्कश हो जाते हैं। ये स्थिति होने पर खुद के लिए ही दिक्कत पैदा करते हैं। इनसे इस तरह की स्थिति से सावधान रहना चाहिए। साफ बोलने वाले और स्पष्ट वक्ता का गुण इनमे

कुम्भ मेले का ज्योतिषीय महत्व

भारत में पौराणिक काल से चले आ रहे कुम्भ मेले का सामाजिक-सांस्कृतिक, पौराणिक व आध्यात्मिक महत्व सर्वविदित ही है। जहां नदी संगम आदि स्थानों पर अस्थाई नगर बस जाते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से भी यह मेला अपना विशिष्ट स्थान रखता है। मेले का निर्धारण का आधार ज्योतिषीय गणना ही होती है। सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही मुख्य माने गए हैं। कुम्भ मेले में भी इन ग्रहों की अहमियत ज्यादा हो जाती है। इन्हीं ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थितियों के आधार पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। स्कंदपुराण में इन ग्रहों के योगदान का उल्लेख मिलता है। पुराण के अनुसार जब समुद्र मंथन के पश्चात अमृत कलश यानि सुधा कुम्भ की प्राप्ति हुई तो देवताओं व दैत्यों में उसे लेकर युद्ध छिड़ गया। 12 दिनों तक चले युद्ध में 12 स्थानों पर कुम्भ से अमृत की बूंदें छलकी जिनमें चार स्थान भारत भूमि पर स्थित है, उनमें हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक हैं। बाकि स्थानों के बारे में पौराणिक मान्यता के अनुसार स्वर्गलोक में माने जाते हैं। दैत्यों से अमृत की रक्षा करने में सूर्य, चंद्रमा, शनि व गुरु ग्रहों की भूमिका विशे

जूना अखाड़े की पेशवाई के साथ कुंभ मेले की शुरुआत

Image
कुंभ मेला भारत में लगने वाला एक ऐसा मेला है जिसका आध्यात्मिक व ज्योतिषीय महत्व तो है ही इसके साथ-साथ यह सामाजिक-सांस्कृतिक और वर्तमान में आर्थिक-राजनैतिक रूप से भी महत्वपूर्ण होने लगा है। जितना जन समुदाय कुंभ मेले में शामिल होता है दुनिया के किसी भी मेले, उत्सव, पर्व त्यौहार में इतने लोग दिखाई नहीं देते हैं। एक पूरा का पूरा शहर इस मेले के आयोजन के लिये अस्थाई तौर पर नदियों के तट पर बसाया जाता है। कुम्भ का मेला वैसे तो दुनिया भर के लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र होता है लेकिन हिंदू धर्म के मानने वालों के लिये यह बहुत खास होता है। अखाड़े की पेशवाई के साथ संतों का महापर्व कुंभ 26 दिसम्बर से भव्यता का आकार लेने लगा है। यह मेला माह पर्यन्त चलता है। जूना अखाड़े की शाही पेशवाई के साथ कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत हो गई है। संन्यासियों और नागा संतों के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्री पंचअग्नि अखाड़े की पेशवाई हुई। भगवान दत्तात्रेय की सोने के हौदे में रखी प्रतिमा को विशाल चांदी के सिंहासन पर स्थापित कर पेशवाई का शुभारंभ हुआ। यह अद्भुत दृश्य देखने के लिए हर कोई संगम की ओर

एकादशी व्रत महिमा

Image
हिन्दू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित करने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाये गए हैं। तमाम व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व एकादशी का है। जो माह में दो बार पड़ती है। शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी। एकादशी उपवास से गंभीर रोगों से रक्षा होती है और खूब सारा नाम यश मिलता है। एकादशी के उपवास से मोह के बंधन नष्ट हो जाते हैं। भावनाओं और मोह से मुक्ति की इच्छा रखने वालों के लिए एकादशी का विशेष महत्व है। एकादशी पर किस किस तरह के वरदान मिल सकते हैं। - व्यक्ति की चिंताएं और मोह माया का प्रभाव कम होता है। - ईश्वर की कृपा का अनुभव होने लगता है। - पाप प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है। - व्यक्ति हर तरह की दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहता है। - व्यक्ति को गौदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। - एक भजन के बोल... एकादशी बिना व्रत किसो रे. .. से भी इसकी महिमा स्वत: जानी जा सकती है। एकादशी का व्रत रखने वाले इसकी विधिवत पूजा-अर्चना के साथ इसके महात्म्य की कथा का भी श्रवण करते हैं। एक कथा का महाभारत काल से प्रसंग जुड़ा है, जहां धर्मराज युधिष्ठिर श्रीकृष्ण से प्रश्न करते हैं एकादशी के व्र

प्रतिदिन साधना-उपासना अवश्य करें

प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन साधना-उपासना, नित्य कर्म-पूजा-पाठ को जीवन की चर्या का अंग बनाना चाहिए। और ये तब और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है जब भागदौड़ भरी जिंदगी में भौतिकता की चकाचौंध में घिरा रहता है। ऐसे में साधना के मार्ग से ही मनुष्य आने वाली समस्याओं का सामना कर सकता है। यदि हम जीवन में किसी प्रयास के प्रति गंभीर हैं, तो उसके लिए हमें दृढ निश्चयी तथा नियमित होना चाहिए। उदाहरणस्वरूप, यदि हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमें नियमित रूप से व्यायाम करना पडेगा। उसी प्रकार यदि हमें चिरकालीन आनंद प्राप्त करना है तो हमें प्रतिदिन साधना-उपासना, पूजा-पाठ करना पड़ेगा। प्रत्येक मनुष्य जीवन में ऊंचाइयां प्राप्त करना चाहता है, लेकिन सभी उस तक पहुंच नहीं पाते। इसके पीछे कारण मात्र एक होता है कि जो भी कर्म किया जा रहा है उसके प्रति पूर्णरूपेण समर्पण का भाव नहीं होता। संशय बना रहता है कि होगा या नहीं। तब तक कार्य नहीं होगा। भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रत्येक मनुष्य Instant Result की आकांक्षा के साथ कार्य को अंजाम देने का प्रयास करता है। जब ऐसा नहीं होता, तो वे Patience खो बैठते हैं एवं अभ्यास करना भी बंद

बिल्ववृक्ष की जड़ से फायदे

धर्म-ग्रंथों शास्त्रों में पेड़-पौधों के पूजन आदि के विधान अनन्तकाल से मनुष्य सुनता-देखता आया है। उसी के परिणामस्वरूप आज भी हमारे यहां पीपल, बड़ का पेड़, नीम, खेजड़ी तथा तुलसी आदि पेड़-पौधों की विधिवत पूजा-उपासना करने का प्रचलन यथावत रूप से चल रहा है। इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं, जिनमें सबसे बड़ा प्रमाण तो ये जीवनदायी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। ऐसे ही बिल्वपत्र के वृक्ष की महिमा और गुणगाण विलक्षण है। ये तो सर्वत्र ज्ञात ही है कि बिल्वपत्र शिव पर चढ़ाया जाता है, लेकिन इसके कई और भी फायदे और विशेषताएं बिल्वपत्र के वृक्ष में पायी जाती है। बिल्वपत्र के वृक्ष की जड़ में भी उससे अधिक प्रभाव और गुण हैं जिससे मानव जीवन में स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि पाने की ओर अग्रसर हो सकता है। जिस प्रकार भगवान शिव के पूजन एवं शिव की कृपा प्राप्ति के लिए बिल्वपत्र और उसके वृक्ष का महात्म्य है, उसी प्रकार बिल्वपत्र के वृक्ष की जड़ का भी विशेष महत्व होता है। इसे पूजन के साथ-साथ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। बिल्वपत्र के जड़ की 6 महत्वपूर्ण विशेषताएं- 1. बिल्वपत्र के वृक्ष को श्रीवृक्ष के नाम से भी जाना

मंत्र जाप के प्रभाव से दूर होते हैं दु:ख, चिंता और भय

नाम जपना या मंत्र जपना इसका प्रभाव कितना होता है तुलसीदास जी कि इस बात में समाहित हो जाता है कि 'कलजुग केवल नाम आधारा। नाम जपते-जपते ही प्रभु मिल जाए, इससे सरल और क्या उपाय हो सकता है। प्रभु का मिलना वैसे तो ऋषि-मुनियों को बड़ा मुश्किल होता है, लेकिन अब वो पहले वाला युग रहा नहीं तो हजारों वर्षों पहले ही कह दिया गया कि प्रभु का मिलन तो केवल नाम जपने से ही हो जाएगा। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इसके लिए भी मनुष्य के पास शायद समय नहीं मिल पाता। नाम जप का ही दूसरा स्वरूप मंत्र जाप होता है। मंत्र में भी किसी न किसी देव-आराध्य के बीज मंत्र की शक्ति निहित होती है, जिसके फलीभूत होने में कोई संशय नहीं रह जाता। नित्य नियमपूर्वक मंत्र जाप का संकल्प करके एक माला ही प्रतिदिन जाप कर ली जाए तो प्रत्यक्ष लाभ मन में शांति के अहसास से शुरू हो जाता है जो आगे चलकर आने वाली समस्याओं के समाधान में भी सहायक सिद्ध होता जाता है। यानि मंत्र जाप की शक्ति से मनुष्य जीवन में दु:ख, चिंता और भय से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर लेता है। 12 राशियों में 9 ग्रहों के विचरने से 108 प्रकार की शुभ-अशुभ स्थितियों क

भौतिकता और आध्यात्मिकता में सामंजस्य जरूरी

मानव-जीवन के दो स्तर हैं एक बाह्य दूसरा आन्तरिक, एक भौतिक दूसरा आत्मिक। इनमें से जिसकी प्रधानता होती है उसी के अनुसार जीवन का स्वरूप बनता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानव दोनों में सामंजस्य नहीं बैठा पाता, फलस्वरूप भौतिकता प्रधान वस्तुओं की ओर बिना लक्ष्य के खींचा चला जाता है। गृहस्थ को आजीविका उपार्जन के लिए उद्योग करना पड़ता है। यह सत्य है, किन्तु साथ ही अगर आत्मिक सुख के लिए आध्यात्मिकता से भी थोड़ा बहुत सामंजस्य रख पाए तो जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है। इसलिए व्यस्तता होने के बाद भी अगर पूजा-उपासना, दान-पुण्य और मानव जनकल्याण से जुड़ जाए तो जीवन की आपाधापी में भी आत्मिक सुख की अनुभूति कर सकता है। बाह्य जीवन हर व्यक्ति का भौतिकवादी ही होता हैं। बात भीतरी स्थिति की है। अन्तर इतना ही रहता है कि एक श्रेणी के व्यक्ति भौतिक वस्तुओं के प्रति भावनाएं रखते हैं, उनसे प्रेरणा प्राप्त करते हैं, उनकी प्राप्ति से सुखी और दुखी होते हैं, अपना लक्ष्य इन भौतिक पदार्थों और परिस्थितियों को ही बनाये रहते हैं। दूसरी श्रेणी के व्यक्ति वे हैं जो भावना को महत्त्व देते हैं, वस्तु को उसका उपकरण

परम्पराएं और वैज्ञानिक कारण

हिन्दू धर्म में मान्यताएं है कि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से किए गए कर्म फलीभूत होते हैं। इन श्रद्धा और विश्वास में व्रत-उपवास से लेकर संस्कार तक जुड़े हुए हैं। जिनका अनुसरण आज के भौतिक युग में यथावत पुरातन परम्पराओं के साथ किया जा रहा है। परम्पराओं के अनुसार इन सबके अनुसरण से देव प्रसन्न होकर कष्ट-परेशानियां दूर करते हैं। इनका वैज्ञानिक कारण भी इनके साथ जुड़ा हुआ है, जिसे जीवन में प्रत्यक्ष अनुभव-महसूस किया जा सकता है। व्रत रखने का बहुत महत्व है। खासतौर पर महिलाएं अपनी अपनी श्रद्दा और आस्था के अनुसार अलग अलग देवी, देवताओं को मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। धर्म और मान्यता के अनुसार व्रत रखने से देवी, देवता प्रसन्न होते हैं तथा कष्टों और परेशानियों को दूर करके, मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। वैज्ञानिक तर्क - धर्म और मान्यता के साथ-साथ सप्ताह में एक दिन व्रत रखना वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमन्द है। आयुर्वेद के अनुसार व्रत रखने से और दिन भर में सिर्फ फल खाने से पाचन क्रिया को आराम मिलता है। जिससे पाचन तन्त्र ठीक रहता है और शरीर से हानिकारक तथा अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं जिससे शरीर

पौष माह महात्म्य

धर्म ग्रंथों, पुराणों और लौकिक कथाओं में पौष माह का विशेष महात्म्य बताया गया है। पौष माह में केवल तिथि नहीं बदलती बल्कि जीवन की स्थिति में भी बड़े बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। पौष महीने में सूर्य उपासना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. पौष के महीने में रोज सुबह उठकर स्नान के पश्चात् तांबे के लोटे से सूर्य को अघ्र्य दें। जल में रोली और लाल रंग के पुष्प जरूर डालें। जल चढ़ाते समय 'ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। पौष माह में मध्य रात्रि की साधना उपासना तुरंत फलदायी मानी जाती है। इसके साथ ही गर्म वस्त्रों और नवान्न का दान काफी उत्तम होता है। इस महीने में लाल और पीले रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं। इस महीने में घर में कपूर की सुगंध का प्रयोग स्वास्थ्य को खूब अच्छा रखता है। पंचांग का दसवां महीना यानि पौष मास में उपासना पद्धतियों में महाप्रयोग बताये गए हैं जिनसे लंबे समय से चली आ रही बीमारिरयों से भी सहज ही निजात मिल सकती है। पौष महीने में घर के मुख्य द्वार के पास एक अनार का पेड़ लगाएं और रोज सुबह उसमें जल डालें और उसके पास धूपबत्ती जलाएं। आपके घर में बीमारी की समस्या

क्रिसमस त्यौहार

सभी धर्म ग्रंथों की सारगर्भिता में मानव जीवन के लिए मानवता और भाईचारे का संदेश मिलता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या फिर देश-दुनिया के किसी भी धर्ममत की बात हो सभी में आपस में मिल-जुलकर मानवता की भलाई और आपसी भाईचारे का संदेश छिपा हुआ पाते हैं। ऐसे ही ईसाई धर्म में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। यह पर्व प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। क्रिसमस दुनिया के अधिकतर देशों में मनाया जाने वाला त्यौहार है। मानवता का संदेश देने वाले, प्रार्थना और क्षमा में विश्वास करने वाले एक दूत, ईश्वर के इकलौते पुत्र की याद में उनके जन्मोत्सव के रूप में इस त्यौहार को मनाया जाता है। क्रिसमस को खुशियों की सौगात देते सांता का संदेश देने वाले त्यौहार के रूप में भी पहचान बनी हुई है। सांता क्लॉज को सेंट निकोलस, फादर क्रिसमस (क्रिसमस के जनक), 'सांताÓ के नाम से जाना जाता है। पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से वे लोक कथाओं में प्रचलित एक व्यक्ति हैं। कई पश्चिमी संस्कृतियों में ऐसा माना जाता है कि सांता क्रिसमस की पूर्व संध्या, यानि 24 दिसम्बर की शाम या देर रात के समय के दौरान अच्छे बच्चों के घरों में आकर

पौष माह और सूर्य उपासना

धर्म ग्रंथों के अनुसार हिन्दी माह के सभी महीने किसी न किसी भगवान से जुड़े होते हैं। जिस माह में जिस भगवान की पूजा का विधान होता है अगर उसकी पूजा-अर्चना-उपासना की जाए तो फल प्राप्ति की गति दोगुनी होती है। ऐसे ही पूजा-उपासना के लिए पौष का महीना भी विशेष महत्व रखता है। पौष माह में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व रहता है। यदि इस पूरे माह सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही सूर्य उपासना पद्धति अपनाई जाए तो जीवन में आने वाली बाधाओं से बचा जा सकता है। सूर्य के बिना संसार का कोई भी कार्य होना असंभव है। वेदों में सूर्य को संसार की आत्मा कहा गया है 'सूर्यआत्मा जगत्स्थुषश्च अत: नवग्रहों में सूर्य की उपासना का पौष का महीना सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। आज भी भारतीय समाज में विशेषकर महिलाएँ पौष के रविवार को  उपासना कर सूर्य नारायण को प्रसन्न करती हैं। पौष के रविवार की उपासना में दिन भर व्रत कर सांय काल मीठे भोजन के साथ व्रत खोला जाता है। नमक का उपयोग इसमें पूरी तरह से निषेध है। प्रात: काल सूर्य उदय से पहले उठकर सामान्य जल से स्नान करना चाहिए तथा उगते हुए सूरज को रोली, चावल और लाल रंग के फूलों के स

मीन राशि का 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक का राशिफल

Image
मीन राशि वालों के लिए पौष माह 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक किन-किन क्षेत्रों में मजबूत परिस्थितियों का द्योतक होगा और किन-किन क्षेत्रों में ग्रह स्थितियां निर्बलता की ओर इंगित करती है, इसकी चर्चा और विश्लेषण। ग्रह गोचरीय व्यवस्थाओं के तहत ग्रहों की बदलती स्थितियों के कारण जातक के ऊपर प्रभाव होते हैं। इन प्रभावों के चलते ही दिनप्रतिदिन की चर्या पर बढ़े तो अनुकूल-विपरीत स्थितियों में सम रहते हुए समय का फायदा उठा सके और कमजोर समय में बचाव के साथ आगे बढ़ सकें। Business- व्यापार की दृष्टि से समय अच्छा है। ग्रह स्थितियां बदलने से भाग्य से अटके हुए कार्य भी इस समय अंतराल में होने की उम्मीद जगी है। भौतिक सुख में जरूर न्यूनता रहेगी, लेकिन आध्यात्मिक में अच्छी स्थितियां निर्मित होगी। व्यापार में कामकाज बढ़ाने की दृष्टि से समय अनुकूल है। लिक्विडिटि कमजोर रहेगी। जमीन, रियल स्टेट, Construction से जुड़े लोगों के लिए समय ठीक कहा जा सकता है। Loan लेना चाहते हैं तो मिल सकते हैं। जमीन आदि के कार्य के लिए Loan के लिए थोड़ा समय रुकें। Education- शिक्षा के लिहाज से कमजोर स्थिति बनी हुई है। उपायों से आ

सिंह राशि का 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक का राशिफल

Image
सिंह राशि वाले जातकों के लिए पौष माह 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक किन-किन क्षेत्रों में बेहतरी की संभावनाएं लेकर आ रहा है और किन-किन क्षेत्रों में कमजोरियां प्रतीत होंगी इसकी चर्चा और विश्लेषण के माध्यम से जानें। ग्रह गोचरीय व्यवस्थाओं के तहत ग्रहों की बदलती स्थितियों के कारण जातक के ऊपर प्रभाव प्रतीत होते हैं। इन प्रभावों के चलते ही दिनप्रतिदिन की चर्या पर अच्छे से समय की अनुकूलता को परख कर आगे बढऩे की आवश्यकता रहती है। Business- व्यापार की दृष्टि से समय अच्छा है। Leather, रियल स्टेट, Construction वालों के लिए बेहतरीन समय है। कर्मशील रहकर आगे बढ़ते रहे तो किसी मुकाम पर पहुंच सकते हैं। भाग्य की प्रबलता कम है। कर्म के साथ आगे बढ़ते जाइये, फल परिलक्षित पाएंगे। Education- इस राशि के जातक जो भी शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उनके लिए कमजोरी के साथ नई संभावनाओं वाला समय कहा जा सकता है। कामर्शियल फील्ड में भी अच्छी स्थितियां निर्मित नहीं हो रही है। फैलोशापी आदि में भी समय ठीकठाक है। परीक्षा का परिणाम आने वाला है, तो धैर्य से लेवें। आगे समय अच्छा आने वाला है। विदेश में शिक्षा ग्रहण करन

मकर राशि का 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक का राशिफल

Image
मकर राशि वालों के लिए पौष माह 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक किन-किन क्षेत्रों में बेहतरी की संभावनाएं रहेगी और किन-किन क्षेत्रों में कमजोरियां प्रतीत होंगी इसकी चर्चा और विश्लेषण। ग्रह गोचरीय व्यवस्थाओं के तहत ग्रहों की बदलती स्थितियों के कारण जातक के ऊपर प्रभाव प्रतीत होते हैं। इन प्रभावों के चलते ही दिनप्रतिदिन की चर्या पर अच्छे से सोच-विचार कर आगे बढऩा चाहिए। जिससे अनुकूल समय में फायदा उठा सके और कमजोर स्थिति हो तो बचाव किया जा सके। Business- व्यापार की दृष्टि से समय अच्छा है। ग्रह स्थितियां व्यापार को बढ़ावा देने वाली बनी हुई है। इनका फायदा उठाने के लिए और अधिक कर्मशील हो जाएं। साथ ही पराक्रम भी बढ़ा हुआ महसूस करेंगे। कर्म से नई संभावनाएं भी बन रही है। इस राशि के जातकों के लिए इलेक्ट्रोनिक मीडिया के फील्ड में भी नित नई संभावनाएं है। अगर बदलाव की ओर जाना चाहते हैं तो भी समय अच्छा है। अखबार आदि खोलना चाहते हैं तो भी समय अनुकूल है। Education-   शिक्षा के हिसाब से अच्छी स्थितियों का निर्माण हो रहा है। कर्म से लाभ की संभावनाएं प्रतीत हो रही है। जॉब चेंज करना चाहते हैं, तो अच्छा रह सकता

मकर संक्रांति- दान-पुण्य में तिल का विशेष महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किया गया दान-पुण्य का फल कई गुण बढ़कर मिलने वाला होता है। मकर संक्रांति के दिन तिल का उपयोग छ: प्रकार से करना चाहिए। जल में तिल डालकर स्नान, तिल के तेल से शरीर पर मालिश करके स्नान, हवन सामग्री में तिल का उपयोग, तिलयुक्त जल का सेवन, तिल व गुडय़ुक्त मिठाई व भोजन का सेवन, तिल का दान आदि करने से शारीरिक, धार्मिक लाभ तथा पुण्य प्राप्त होते हैं। व्रतधारियों को इसके अतिरिक्त पूजन में चंदन से अष्ठदल का कमल बनाकर उसमें सूर्यदेव का चित्र स्थापित करें। शाम को तिलयुक्त भोजन से अपना व्रत खोलें। यथाशक्ति अनुसार योग्य ब्राह्मणों व गरीबों को वस्त्र दान, तिल-गुड़ तथा तेल आदि का दान दें। गाय को चारा खिलाएं। तिल मिश्रित जल से महादेवजी का अभिषेक करें। सूर्य भगवान को अघ्र्य देना चाहिए। तांबे के लोटे में कुंकू, रक्त चंदन, लाल पुष्प आदि मिश्रित जल से पूर्व मुखी होकर तीन बार सूर्य को जल दें। पश्चात अपने स्थान पर ही खड़े होकर सात परिक्रमा करें। उसके बाद सूर्याष्टक, गायत्री मंत्र तथा आदित्य हृदय स्रोत का पाठ करें। अपने प

वृश्चिक राशि का पौष माह का राशिफल

Image
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए हिन्दी मास पौष माह दिनांक 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाओं के बदलाव के साथ कैसा रहेगा। इस एक महीने के समय में आपको कौन-कौन से क्षेत्रों में किस-किस समय मजबूत स्थितियां बन रही है तथा किस समय कमजोर स्थितियों का निर्माण हो रहा है इसकी चर्चा और विश्लेषण लग्न कुंडली में राशि स्थान पर चन्द्रमा को प्रतीकात्मक रूप से विराजित करते हुए दर्शाया गया है। Business- व्यापार की दृष्टि से नित नई संभावनाएं सामने आएगी। ऐसी परिस्थितियों के निर्मित होने पर आगे बढऩा चाहिए। कर्म की रफ्तार को अच्छे समय में दुगुना करके आगे बढऩा चाहिए। परिणाम बेहतर मिलेंगे। लिक्विडिटि बढ़ेगी। फैशन डिजाइनिंग, ब्लॉगर वालों के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही है। फायदा उठावें। जमीन, कंस्ट्रक्शन, रियल स्टेट से जुड़े हुए हैं तो लिक्विडिटि फंसने की संभावना रहेगी। इस एक महीना  इंतजार करो तो बढिय़ा रहेगा। धैर्य से काम लें। लाइम लाइट वालों के लिए अपार संभावनाओं वाला समय है। Education- शिक्षा की दृष्टि से ये महीना शानदार संभावनाओं वाला है। आई.आई.टी. के एक्जाम दिए हैं, वहां सफलता की उम्मीद।

कुंभ राशि का 23 दिसम्बर से 21 जनवरी का राशिफल

Image
कुंभ राशि वाले जातकों के लिए हिन्दी मास पौष माह दिनांक 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाओं के बदलाव से कैसा रहेगा। कौन सा समय किस कार्य के लिए अधिक मजबूत स्थितियां बनाता है और कौन सा समय किन क्षेत्रों में कमजोरियों की ओर इंगित करता है। घर-परिवार, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार आदि में किस समय सावधानी रखें और किस समय आगे बढ़ें, इन सबकी चर्चा और विश्लेषण। राशि स्थान में चन्द्रमा प्रतीकात्मक रूप से विराजित है। Business- व्यापार में बड़ी अच्छी स्थितियां परिलक्षित हो रही है। प्रकाश के कार्य, स्टील-लौह, सोलर आदि के कार्य से जुड़े व्यापार में नवीन कार्य बढ़ाना चाहता है तो समय अनुकूल बना हुआ है। अपनी पूर्ण ऊर्जा से कार्य को बढ़ाएं, सुखद परिणाम मिलेंगे। ग्रह गोचरीय स्थितियां भी अच्छे फल देने वाली निर्मित हो रही है। नौकरी पेशा लोगों के लिए प्रखरता बढ़ेगी। वाहन, फ्लैट की दृष्टि से सुख की स्थितियां बनती नजर आ रही है। Education- शिक्षा के दृष्टि से कामर्शियल एक्जाम दे रहे हैं तो समय अनुकूल है। पराक्रम के साथ निरर्थक व्यय होगा। ग्रह स्थितियां वाणी में कर्कशता दे सकते हैं। इस स्थिति

धनु राशि वालों के 23 दिसम्बर से 21 जनवरी का राशिफल

Image
धनु राशि वाले जातकों के लिए हिन्दी मास पौष माह दिनांक 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाओं के बदलाव से कैसा रहेगा। कौन सा समय किस कार्य के लिए अधिक मजबूत स्थितियां बनाता है और कौन सा समय किन क्षेत्रों में कमजोरियों की ओर इंगित करता है। घर-परिवार, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार आदि में किस समय सावधानी रखें और किस समय आगे बढ़ें, इन सबकी चर्चा और विश्लेषण। राशि स्थान में चन्द्रमा प्रतीकात्मक रूप से विराजित है। Business- व्यापार की दृष्टि से देखा जाए तो भाग्येश वृद्धि करने वाले होंगे। नई स्थितियां सुखद वाली बन रही है, उस दृष्टि से व्यापार को आगे बढ़ाने चाहते हैं, आगे बढिय़े समय अनुकूल बन रहा है। Education- शिक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो एकाग्रता की दृष्टि से कमजोर रहेगा। इंजीनियरिंग फील्ड में ध्यान रखने की आवश्यकता रहेगी। मैनेजमेंट की दृष्टि से ठीक कहा जा सकता, लेकिन इतना अच्छा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा की दृष्टि से कमजोर रहेगा। अध्ययनरत बच्चों पर विशेष ध्यान रखियेगा। प्रमोशन आदि रुके हुए थे, उनके लिए समय अच्छा कहा जा सकता है। जॉब बदलाव में भी स्थिति अनुकूल बनी हुई है। विद

कन्या राशि वालों के पौष माह का राशिफल

Image
कन्या राशि वाले जातकों के लिए हिन्दी मास पौष माह दिनांक 23 दिसम्बर से 21 जनवरी तक ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाओं के बदलाव से कैसा रहेगा। कौन सा समय अधिक सुदृढ़ स्थितियां बनाता है और कौन सा समय कमजोरियों की ओर इंगित करता है। घर-परिवार, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार आदि में किस समय सावधानी रखें और किस समय आगे बढ़ें, इन सबकी चर्चा-विश्लेषण। राशि स्थान में चन्द्रमा प्रतीकात्मक रूप से विराजित है। Education- शिक्षा की दृष्टि से इंस्टीट्यूट खोलना चाहते हैं तो समय अनुकूल कहा जा सकता है, आगे बढिय़े। पराक्रम की दृष्टि से सुदृढ़ स्थितियों का निर्माण हो रहा है। शिक्षा में नई कार्य योजना में परिणाम सुखद आने की संभावना प्रतीत हो रही है। नए कैरियर की दृष्टि से समय अनुकूल कहा जा सकता है। प्रबंधन में भी नए अनुभव प्राप्त कर आगे बढ़ सकते हैं। Business- व्यापारियों के लिए समय अच्छा है। व्यापार को बढ़ाने की दृष्टि से यानि कामकाज बढ़ाना चाहते हैं तो ये समय अनुकूल कहा जा सकता है। कर्म में बढ़ावा प्रतीत होगा, जिससे स्थितियां और सुदृढ़ बनती जाएगी। भाग्य की संभावनाएं भी बढ़ेगी। लम्बे समय से कोई कार्य के लिए अटके ह

कर्क राशि वालों के लिए 23 दिसम्बर से 21 जनवरी का राशिफल

Image
कर्क राशि वाले जातकों के लिए 23 दिसम्बर से 21 जनवरी पौष माह कैसा रहेगा। ग्रह-गोचरीय व्यवस्थाओं के परिवर्तन से किन कामकाजों में स्थितियां सुदृढ़ रहेगी, किन क्षेत्रों में स्थितियां कमजोर रहने की संभावना रहेगी, घर-परिवार, व्यापार, शिक्षा आदि की दृष्टि से माह पर्यन्त स्थितियों की चर्चा-विश्लेषण। Education- शिक्षा की दृष्टि से इस फील्ड से जुड़े लोग हों या शिक्षा चल रही है, उनके लिए समय अनुकूल चल रहा है। फलाफल में ऊँचाई पर नहीं ले जाते, लेकिन स्थिति अच्छी कही जा सकती है। शिक्षा के हिसाब से भाग्योदय कारक की दृष्टि से ग्रह स्थितियां अनुकूल प्रतीत होती है। ये स्थितियां नाम खड़ा करने का मौका देती है फायदा उठावें। फैशन, के  फील्ड के लिए समय अच्छा कहा जा सकता है। इंजीनियरिंग Exams में थोड़ी सी कमजोर जरूर कही जा सकती है। दूसरे विषयों  में समय अनुकूल  है। विदेश में शिक्षा, नौकरी वालों के लिए ये समय अच्छा नहीं कहा जा सकता। इस माह बाहर जाने की संभावनाओं को टाल पाएं तो अच्छा रहेगा। Business- व्यापार की दृष्टि से जुड़े लोगों में जो नौकरी के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अच्छे से आगे बढऩे की आवश्यक