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Showing posts from November, 2018

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नवरात्रि में पाएं आर्थिक समृद्धि

हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही अहम माना गया है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और देवी मां की पूजा करते हैं। साल में कुल चार नवरात्रि पड़ती है और ये सभी ऋतु परिवर्तन के संकेत होते हैं। या यूं कहें कि ये सभी ऋतु परिवर्तन के दौरान मनाए जाते हैं। सामान्यत: लोग दो ही नवरात्र के बारे में जानते हैं। इनमें पहला वासंतिक नवरात्र है, जो कि चैत्र में आता है। जबकि दूसरा शारदीय नवरात्र है, जो कि आश्विन माह में आता है। हालांकि इसके अलावा भी दो नवरात्र आते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र के बारे में कई ग्रंथों में लिखा गया है और इसका महत्व भी बताया गया है। इस बार आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। यह अंग्रेजी महीनों के मुताबिक 3 जुलाई से 10 जुलाई तक चलेगा। इन दिनों में तांत्रिक प्रयोगों का फल मिलता है, विशेषकर धन प्रात्ति के रास्ते खुलते हैं। धन प्रात्ति के लिए नियमपूर्वक-विधि विधान से की गई आराधना अवश्य ही फलदायी सिद्ध होती है। नौकरी-पेशे वाले धन प्रात्ति के लिए ऐसे करें पूजा-अर्चना- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें।  मां को लाल कपड़े में दो

धनु राशि का 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक राशिफल

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धनु राशि वाले जातकों के लिए मार्ग शीर्ष मास में मिलने वाले फलाफल पर एक जानकारी। गोचरीय व्यवस्था में मन के कारक चन्द्रमा, जो कि यहां पर अष्टम स्थान के स्वामी होते हैं, यदि धनु राशि वालों के लिए 24 नवम्बर को वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि की ओर गमन करेंगे। किन्तु हमारे लिए उन स्थितियों को बदल कर दिखाना संभव नहीं हो पाता। इसलिए चन्द्रमा प्रतीकात्मक तौर पर राशि स्थान में ही विराजित है। शनि यहां लम्बे समय से गुरु की राशि में विराजित है और धनु राशि वालों के लिए राशि स्थान में ही शनि विराजित। केतु ने मकर का स्थान ले रखा है, लम्बे समय तक रहेंगे। राहू कर्क राशि में चन्द्रमा की राशि के अंदर विराजित अष्टम स्थान के अंदर। मंगल मकर राशि उच्चस्थ स्थितियों से निकले विखंडित हुए जहां के कारकाधिपति होते हैं वहीं पर विराजित। कुंभ राशि शनि की मूल त्रिकोण राशि में है। शनि तीसरी दृष्टि से अपने ही भाव को देखने का कार्य कर रहे हैं। जहां के कारकाधिपति भी हुए और भावधिपति भी हुए। तीसरी दृष्टि से देखने का कार्य कर रहे हैं। बुध 6 दिसम्बर तक वक्री स्थितियों में रहेंगे। शुक्र मार्गी हो चुके 16 नवम्बर को, पहले अस्त

सबसे पहले परिवर्तन स्वीकारने वाला ही सबसे आगे बढ़ता है

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मैं जिस शहर से बिलांग करता हूं उस शहर का नाम है जोधपुर। जोधपुर शहर की जब हार्ट लाइन क्रॉस करते हैं तब आपको तकरीबन 15 सालों से बंद पड़ी हुई एक दुकान दिखाई देती है जिस पर एक टेढ़ा-सा बोर्ड टंगा हुआ है और अंकित है ट्रांजिस्टर डॉक्टर। यानि रेडियो के मैकेनिक। ऐसा कहा जाता है कि 90 के दशक की शुरुआत में यह दुकान अपने पीक पर हुआ करती थी। उस समय कई लोग अपने टेलीविजन सैट लेकर इन महाशय के पास पहुंचते और कहते हैं कि सा’ब आपने टेलीविजन रिपेयर का भी काम शुरू कर दिया है क्या? वो स्पष्ट रूप से मना कर देते - मैं सिर्फ रेडियो का स्पेशलिस्ट हूं मेरा टी.वी. से कोई लेना-देना नहीं है, टी.वी. किसी और से रिपेयर करवाओ, मेरे पास में गुंजाइश नहीं है। कुछ साल बाद जब रेडियो का काम धीरे-धीरे कम होने लगा और रेडियो अपनी रफ्तार से कम होकर के इतिहास बनने की ओर अग्रसर थे तब इन महानुभाव के पास कुछ लोग मोबाइल लेकर भी पहुंचे और कहा कि सा’ब अब मोबाइल रिपेयरिंग का काम तो शुरू कर दीजिये। उन्होंने कहा कि रेडियो का दौर फिर से आएगा। ये नहीं कहा कि मैं मोबाइल सही नहीं करता। ये कहा कि रेडियो का दौर फिर से आएगा, और एक दिन देखना

गणपति स्तुति:

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दर्शकों घर में किसी भी मंगल कार्य की शुरुआत हो चाहे वो विवाह का कार्यक्रम हो या यात्रा का प्रस्थान हो या बच्चा स्टीडिज की शुरुआत कर रहा है, हर जगह, हर क्षण ऐसे मांगलिक कार्य के समय देवाधिदेव गणपति को, विनायक को याद किया जाता है, उनकी स्तुति की जाती है, उन्हें प्रसन्न किया जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के बाद उस कार्य की शुरुआत की जाती है। कितना अच्छा हो कि हमारे घर के बच्चे और सारे सदस्य देवाधिदेव गणपति की यह स्तुति याद कर लें, कंठस्थ कर लें, हृदयस्थ कर लें और उसके बाद जब भी कोई ऐसा कार्य हो तो किसी और की आवश्यकता ही नहीं हो। इस स्तुति के साथ मैं भगवान विनायक को हृदय में स्थापित करके उस कार्य की विजयश्री का खुद के भीतर वरण किया जाये।  स्तुति कुछ इस प्रकार है। और यही स्तुति आप यू-ट्यूब के नीचे जो डिस्क्रीप्सन बॉक्स होता है वहां पर लिखी हुई पाएंगे, तो कंठस्थ करने में बहुत ही आसानी रहेगी। स्तुति इस प्रकार है- ऊँ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक:। लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशोविनायक:।। धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:। द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणुयादपि।। विद्यारम्भे विवाहे च प्रव

गणेश चतुर्थी से चतुर्दशी तक यह स्तुति करते रहिये

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गणेश चतुर्थी पर्व इस बार 13 सितम्बर, 2018 को आ रहा है। बप्पा गली-गली विराजेंगे, घर-घर विराजेंगे, हम सभी के हृदय में स्थापित होंगे निश्चित तौर पर। गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक सिर्फ एक ही नाम की धूम रहती है और वो है बप्पा मोरिया। प्रत्येक व्यक्ति इस समय चाहता है कि हमारे घर में सम्पन्नता का वास हो, लक्ष्मी स्थाई रूप से विराजे। इसके साथ रिद्धि-सिद्धि पूर्ण कामनाओं के साथ हमारे घर में सारे कार्य को पूर्ण करें। जो बच्चे शिक्षा ले रहे हैं उस शिक्षा को उन्नत करे, जाब में प्रमोशन हो, बिजनस लगातार बढ़ता रहे सबकी यही कामनाएं रहती हैं और निरन्तर व्यक्ति यही चाहता है कि मैं पूजा-पाठ में सलंज्न रहूं और विनायक की पूजा-अर्चना करूं। मैं आज विनायक की सबसे प्रिय स्तुति आपके सबके सामने वाचित करने जा रहा हूं, पठित करने जा रहा रहा हूं। इस स्तुति को यदि गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी के बीच किया जाए तो निश्चित तौर पर व्यक्ति को बेनिफिट होता है और फायदा होता है और सम्पन्नता का वास उस व्यक्ति के घर में निश्चित तौर पर होता है। ये स्तुति कुछ इस प्रकार है-विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सक

अच्छे और सुदृढ़ कम्युनिकेशन के लिए कृष्ण ने दिया था ब्रह्मास्त्र

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कई बार हम अपनी जिंदगी में ऐसे लोगों से मिलते हैं जिनके पास में नॉलेज का बहुत ही अच्छा स्तर हासिल था। एक तरह से नॉलेज के पीक पर थे वो किसी स्पेसीफिक्स फिल्ड में, लेकिन फिर भी अपनी पूरी जिन्दगी में वो मुकाम हासिल नहीं कर पाए। वो जगह हासिल नहीं कर पाए। जहां तक पहुंचने की उनकी भीतर क्षमता थी वो बहुत थी। इसके विपरीत कई लोगों के पास में नॉलेज का बिलकुल बेसिक लेवल होता है। लेकिन फिर भी वो लोग लगातार आगे बढ़ते चले जाते हैं और कई बार वहां तक पहुंच जाते हैं जहां तक पहुंचने की उम्मीद उनको खुद को भी नहीं थी और इस रेफरेन्स के पास जो कारण गिनवाया जाता है वो है कम्युनिकेशन और कन्वेसिंग स्कील। यदि आपके पास बेहतर कम्युनिकेशन है और अच्छी कन्वेसिंग स्कील्स है तो आप लगातार आगे बढ़ सकते हैं और इस कन्टेम्पररी वल्र्ड, आधुनिक युग में जो कम्युनिकेशन के बारे में डेफिनेशन दी जाती है उसमें कहा जाता है कि आपके पास में शब्दकोश अच्छा होना चाहिये। व्हीट होनी चाहिए, ह्यूमर होनी चाहिए। वाक्पटुता होनी चाहिए और प्रसेन्टेशन बहुत ही अच्छा होना चाहिए। यानि सिर्फ और सिर्फ बोलने के ऊपर ध्यान दिया गया कैसा बोलते हैं कैसा प्

क्या ऐसा महसूस करते हैं आप भी हर सुबह

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सुबह जब उठे तो ऐसा लगा कि ना जाने कितनी तकलीफें हमारे साथ मेें आकर खड़ी हो गई है। कोई उत्साह नहीं, पूर्ण रूप से निरसता, जब बिस्तर छोड़ा तो सारी तकलीफो ने आपका साथ थाम लिया, सारी चिंताओं ने आपका साथ थाम लिया और ये चिंताएं लगातार हमारे साथ सुबह शुरू हुए ट्रैफिक जाम से लेकर रात को बर्फ में गिरने वाले जाम तक साथ में कंटीन्यूस्ली चलती रहती है। क्या कारण है इसका कि कहीं ऊर्जा का प्रवाह ही नहीं है, कोई रिफलेक्सेस ही नहीं जो कुछ एक अलग तरीके का आपका औरा खड़ा कर पाए यदि ये प्रश्न है तो उत्तर श्रीमद् भागवत गीता में मौजूद है। जो पिछले 5 हजार सालों से प्रत्येक युग में अलग-अलग समस्याओं के समाधान अपने भीतर समाहित किए हुए है। उसी में जब आप श्रीमद भगवत गीता के पहले अध्याय की तरफ जाते हैं तो करुक्षेत्र की रणभूमि में दुर्योधन भीष्म पितामह के पास पहुंचते हैं और व्यूहरचना देखते हैं। व्यूहरचना देखने के मध्य में ही भीष्म पितामह अपने शंख से पूरी ताकत के साथ उद्घोष करते हैं क्योंकि वो सेनापति हैं और पूरी ताकत के साथ वो घोष होता है तो वो घोष पांडवों तक पहुंचता है। यहां 11 अक्षुण्णी सेना के सेनापति कौरवों के

एक कहानी

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अमेरिका में हुए एक मोटिवेशनल स्पीकर के सेमिनार के बाद एक अति उत्साहित व्यक्ति बैक स्टेज पर मोटिवेशन स्पीकर के पास पहुंचा और कहा कि वो मुझे वाकई बहुत प्रेरणादाई लगा है। ये लोगों में जिन्दगी जीने की ऊर्जा भरता है और उन्हें एक नई ताकत, जोश देता है। मैं बिजनसमैन हूं और अपनी इस जिन्दगी से पूरे तरीके से फेडअप हूं। आपकी तरह ही मैं काम करना चाहता हूं, जिससे लोगों को जिन्दगी जीने की नई ऊर्जा मिले और वो प्रेरित हों। आपकी जो भी फीस हो प्लीज मुझे बताइये। मैं आपसे काम सीखना चाहता हूं। मोटिवेशन स्पीकर ने मुस्कुराते हुए कहा फीस की आवश्यकता नहीं है, ये बहुत ही भलाई का काम है। तीन दिन बाद मेरे ऑफिस आ जाइयेगा और वहां पर आपकी ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। वो व्यक्ति तीन दिन बाद पूरे उत्साह के साथ मोटिवेशन स्पीकर के घर पहुंचा। उन्हें ऑफिस में बिठाया गया और एक पेपर और पेन दिया गया मोटिवेशन स्पीकर के द्वारा और कहा गया कि आप उस सेमिनार के बाद से आज तक के समय में जितने भी लोगों से मिले है, उन सबके नाम इस पेपर के ऊपर उकेर दीजिये, ये मेरी ट्रेनिंग से पहले की एक्सरसाइज का हिस्सा है और उसके बाद हम आगे बढ़ेंगे ट्रेनि

ये आधार हमारे पास भी था लेकिन...

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अभी कुछ दिनों पहले ही हमने व्लर्ड एनवायरमेंट डे मनाया। ओजोन लेयर प्रोटेक्शन डे भी मनाएंगे। इसके अलावा शेव अर्थ डे, शेव वाटर डे और ऐसे ही न जाने कितने  दिन हमारे रोजमर्रा के जीवन में शुमार होते जा रहे हैं। आजकल तो हर दूसरा दिन किसी न किसी डे पर मनाया जाने लगा है। यह कुछ ही दशकों पूर्व शुरू हुई परम्परा है। इसके पीछे रीजन यही था जब प्रकृति अपने विराट स्वरूप दिखाने लगी और अपने विध्वंस के संकेत देने लगी तो हमें यह समझ में आने लगा कि इस एनवायरमेंट को सेव करना बहुत ज्यादा जरूरी है यदि हम इस एनवायरमेंट को शेव नहीं कर पाए, इस प्रकृति को शेव नहीं कर पाए तो शायद हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसके विपरीत जो परम्पराएं हमारे पास मौजूद थी, जो विराट संस्कृति और जो वैज्ञानिक आधार हमारे पास मौजूद थे यदि उनकी तरफ एक बार झांका जाता तो यह सब पहले से वहां मौजूद था। आप एक दिन निर्जल रह देख लीजिए आपको मालूम चल जाएगा कि जल का महत्व क्या है। आप मौन के महत्व को यदि जानना चाहते हैं तो मौनी अमावस्या के एक दिन मौन रहकर देख लीजिए। इस हरियाली का कितना महत्व है। हरियाली अमावस्या हमें वही बताती है। और रंगपंचमी पर

मंत्र और ध्वनि विज्ञान की शक्ति

जीवन में जब से गुगल ने अपनी गुगली फेंकी है, तब से प्रत्येक समस्या का समाधान, हर छोटे से छोटे प्रश्न का उत्तर मिलना नितांत आवश्यक हो गया है। यदि उत्तर मिला और लॉजिक हमें सही लगा और अपने मन के मुफीद लगा तो उसे मान लेंगे और यदि हमारे मन के मुफीद नहीं लगा तो उसे वहीं ड्राप कर देंगे और संशय के बस्ते में डालकर हमेशा के लिए उसे नकार देंगे। हमारे मंत्र विज्ञान के साथ, श्लोक विज्ञान के साथ और ध्वनि विज्ञान के साथ में भी यही स्थितियां उत्पन्न होने लगी। लोगों के मन में बार-बार ये प्रश्न उठने लगे कि क्या मंत्र विज्ञान में वो ताकत है कि चमत्कारिक रूप से सब कुछ परिवर्तित हो सकता है। ध्वनि विज्ञान में वो ताकत है कि इस ब्रह्माण्ड के जो क्रॉसमॉस है वहां तक हमारे संदेश पहुंच सकते हैं। इस बात को पूफ्र करने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है इस उदाहरण का उत्तर या इस प्रश्न का उत्तर हम सभी के पास मौजूद है। जब आप सुबह उठते हैं और कोई एक आइडिया आपके दिमाग में क्लिक करता है और आप उस आइडिया को लेकर पूरे जोश के साथ अपने दोस्त के पास पहुंचते हैं और उसे कहते हैं कि यार ये आइडिया मेरे दिमाग में आया है और मैं इस

मीन राशि वालों के लिए 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक का राशिफल

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गुरु प्रधान राशि है ये। गोचरीय आंकलन में चन्द्र राशि के अनुसार ही चर्चा करता हूं। क्योंकि तारों का संचरण गोचर के माध्यम से चन्द्र राशि से ही देखा जाना सबसे अधिक सुविधाजनक रहता है। 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर के मध्य समय मार्ग शीर्ष मास रहेगा। इस मास का गीता में भी वर्णन है। यहां चन्द्रमा मीन राशि में ही विराजित है। 24 नवम्बर को चन्द्रमा वृषभ राशि से निकलकर मिथुन की ओर गमन करेंगे, किन्तु हमारे लिए सारे भावों में चन्द्रमा की स्थिति को परिवर्तित करके दिखा पाना संभव नहीं है। प्रतीकात्मक तौर पर चन्द्रमा मीन राशि स्थान में ही विराजित दिखाए गए हैं। सूर्य ने नीचस्थ स्थितियों से निकलकर भाग्य स्थान में प्रवेश करने का कार्य किया। यहां अपने सेनापति की राशि में प्रवेश कर गए और शुक्र पहले अस्तगत थे फिर वक्री थे अब 16 नवम्बर के बाद मार्गी हो चुके हैं। हालांकि अष्टम स्थान के अंदर विराजित हैं। राहू और केतु इसी स्थिति को लम्बे समय से लेकर विराजित। मंगल कुंभे भोम हो चुके हैं। भूमिसूत अग्नि के कारकात्व प्राप्त ग्रह मंगल यहां पर कुंभ राशि में शनि की मूल त्रिकोण राशि में प्रवेश कर चुके हैं। द्वादश स्थान के अ

मकर राशि का 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक का राशिफल

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मार्ग शीर्ष मास में मकर राशि वाले जातकों के लिए 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक कैसा रहेगा, एक विश्लेषण। प्रथम प्रकाश ग्रह आदित्य, सूर्य से बात की जाए तो सूर्य ने नीचस्थ स्थितियों से निकलकर अपने सेनापति स्थान यानि कि वृश्चिक राशि, मंगल की राशि, भूमिसूत की राशि में प्रवेश कर लिया है। जहां बुध पहले से विरािजत। साथ में गुरु भी वहां पर 11 अक्टूबर को विराजित हुए थे। सूर्य ने जैसे ही अपना आवरणीय प्रभाव क्षेत्र डाला तो उसके बाद से अस्तगत करने का कार्य किया गुरु को। 7 दिसम्बर तक गुरु अस्तगत। 6 दिसम्बर तक बुध वक्री रहेंगे। जैसे ही सूर्य अपनी संक्रांति को परिवर्तित करेंगे। शनि को अस्तगत स्थितियों में लाने का काम करेंगे। जो कि अस्तगत रहेंगे 18 जनवरी तक। सूर्य का आवरणीय प्रभाव क्षेत्र ही ऐसा है। शुक्र प्रधान जो फील्ड है उनके साथ में शुक्र ने अपनी स्थिति कैसी ले रखी है, उससे जुड़े हुए फील्ड में परिणाम कैसे रहेंगे। दशम स्थान के अंदर राशि स्थान के अंदर कर्म स्थान के अंदर ही शुक्र जैसे सौम्यकारक ग्रह विराजित। सातवीं दृष्टि से सुख स्थान को देखने का कार्य कर रहे हैं।  शुक्र पूरी तरह से सहायक हैं। साथ में

24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक का वृश्चिक राशि का राशिफल

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वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर मार्ग शीर्ष मास का एक विश्लेषण। राशि स्थान चन्द्रमा प्रतीकात्मक के रूप में जहां सूर्य, गुरु और बुध देख रहेहैं वृश्चिक राशि स्थान में वहां चन्द्रमा प्रतीकात्मक रूप में विराजित हैं। 24 नवम्बर को चन्द्रमा वृषभ से निकलकर मिथुन की ओर अग्रसर होंगे। किन्तु यहां हमारे लिए लगातार उन पोजीशन्स को बदलना संभव नहीं होता। इसी वजह से प्रतीकात्मक स्वरूप में वृश्चिक राशि स्थान में ही चन्द्रमा विराजित हैं। चतुर्थ, अष्टम और द्वादश जब भी रहेंगे उस समय का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि मन के विचलित होने की शंकाएं बनी हुई रहती है। अथक संघर्ष और प्रयासशील रहने वाली राशि साथ में खुद के साथ लगातार जिनके द्वंद्व चलते रहते हैं। कई बार खुद से भीतर आने में ऐसे लोगों को समय लग जाता है। ये राशि प्रधान जातक होते हैं वृश्चिक राशि के। इस महीने की स्थिति देखते हैं तो आपके लिए बेहतर स्थिति बन रही है। भले ही वो शिक्षा हो, चाहे व्यापार या फिर स्टॉक मार्केट की स्थिति बाहर की ओर जाना चाहते हैं उन सारी स्थितियों के लिए एक फायदेमंद स्थितियां निर्मित होकर खड़ी हुई हैं। ग्रह ग

तुला राशि का 24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक का राशिफल

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24 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक तुला राशि का विश्लेषण। इस समय अवधि मार्ग शीर्ष मास रहेगा। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा भी है कि मासों में मैं मार्ग शीर्ष मास हूं। प्रतीकात्मक तौर पर चन्द्रमा राशि स्थान में ही विराजित। 24 नवम्बर को वृषभ से निकल कर मिथुन की ओर अग्रसर होंगे चन्द्रमा। 16 नवम्बर को शुक्र मार्गी हो चुके हैं। सूर्य विखंडित होकर अपने मित्र की राशि सेनापति की राशि वृश्चिक में प्रवेश कर चुके हैं। वहां पर बुध और गुरु पहले से ही विराजित हैं। साथ में अन्य स्थितियों में 16 दिसम्बर के बाद शनि अस्तगत स्थितियों की ओर गतिमान हो जाएंगे जब सूर्य अपनी संक्रांति को फिर से परिवर्तित करके धनु की ओर अग्रसर होंगे। ये स्थिति शनि के लिए 18 जनवरी तक बनी रहेगी। अस्तगत रहेंगे। सूर्य जैसे-जैसे अपनी संक्रांति को परिवर्तित कर रहे हैं। वैसे ही स्थितियों को अस्तगत करने का कार्य कर रहे हैं। राहू और केतु कर्क और मकर में विराजित। मंगल पंचांग की भाषा के अनुसार कुंभे भोम हो चुके हैं। शनि की मूल त्रिकोण राशि में प्रवेश कर चुके हैं मंगल। पंचम स्थान में विराजित। यदि आप किसी भी टॉप नोज मैनेजमेंट पोजीशन से जुड़े हैं और

मेष लग्न की कुंडली में योग कारक स्थितियां

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मेष लग्न की कुंडली में योग कारक स्थितियों का निर्माण किस तरह होता है। कौन होते हैं इस कुंडली के बाधक अधिपति। लग्नेश और भाग्येश की दशाएं क्या है। दशाएं जीवन में किस तरह का फलाफल लेकर आती है। ये समग्र चर्चा लेकर मैं आप सभी के समक्ष यहां उपस्थित हूं। सर्वप्रथम मैं बताऊं आपको कि जब भी कोई व्यक्ति खुद की कुंडली के अध्ययन से ऊपर उठकर याद रखियेगा स्वयं की कुंडली से ऊपर उठकर जब भी ज्योतिषीय विश्लेषण में जाना शुरू करता है। अध्ययन शुरू करता है तब उसे सर्वप्रथम काल पुरुष की कुंडली यानि कि मेष लग्न की कुंडली के माध्यम से ही सारी की सारी स्थितियों का ज्ञान दिया जाता है। आंकलन करने की क्षमताएं प्रदान की जाती है और विश्लेषण की तरफ वो व्यक्ति जा पाता है। मैंने यहां लग्न की बात की है। ये एक सक्रीगेशन है। मैं कमेंट बॉक्स में बार-बार देखता हूं इसीलिए आपको बता रहा हूं कि ये सक्रीगेशन है। लग्न कुंडली यानि कि जन्म समय, जन्म तारीख और जन्म स्थान के आधार पर जो फोटोग्राफ आपके सामने आया है वो है लग्न कुंडली और चन्द्रमा जहां विराजित हैं उसे हम चन्द्र कुंडली के माध्यम से जानते हैं। तो यहां चर्चा करेंगे हम लग्न

6 नवम्बर को मंगल का कुंभ राशि में प्रवेश

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6 नवम्बर, 2018 को भूमिसूत मंगल उच्चस्थ स्थिति यानि कि मकर राशि से निकलकर शनि की मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं। यदि पंचांगीय भाषा की बात की जाए तो वहां लिखा होता है कुंभे भौम। भौम कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जिनका नाम भूमिसूत भी है, अंगारक भी है, कुंज भी है। इसके साथ में ये ग्रहों के सेनापति होकर तापीय दृष्टि प्रदान करने वाले हैं। जहां खड़े हो गए, वहां सिर्फ और सिर्फ पराक्रम दिखाने का ही कार्य करते हैं ये स्थिति होती है भूमिसूत की। मैं जब भी मासिक राशि फल लेता हूं तो इसके समग्र चर्चा आप सभी के समक्ष रख चुका होता हूं कि किस-किस हिसाब की पोजीशन्स चेंज हो रही है। ग्रह-गोचर कैसे अपनी स्थितियां परिवर्तित कर रहे हैं, लेकिन जब मंगल कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं तो एक मोटामोटी चर्चा कर लेना अतिआवश्यक है। मासिक राशि फल के बिना भी मैं जब भी इन ग्रहों के संचरण की बात करता हूं यानि कि परिवर्तन की ट्रांजेशन चेंज की बात करता हूं तो इसका आधार होता है मून साइन। आपकी चन्द्र कुंडली ही इसका आधार होती है। लग्न कुंडली वो है जब आपका जन्म समय, जन्म स्थान और इसके साथ में

बुध की दशा में करने योग्य उपाय

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सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म के माध्यम से, प्रिन्ट मीडिया से या फिर टेलीविजन के माध्यम से जब आप ज्योतिष संबंधी जानकारियां प्राप्त करते हैं तो मन में एक ही अभिलाषा होती है कि हमारे भावी जीवन जो आने वाला समय है किस तरह अनुकूल होगा, कौनसी ओपच्यूरनिटीज आने वाली है, जिन्हें हम एनकेश कर पाएंगे, साथ ही यदि कोई नेगेटिव टाइम आने वाला है तो उसे कैसे अवर्ट किया जाए, कैसे बचा जाए और सुगमता के साथ में संघर्ष वाली वो घड़ी पार कर ली जाए। आज इस नवग्रहीय व्यवस्था में मैं ऐसी ही एक महत्वपूर्ण ग्रह की चर्चा करने जा रहा हूं जो कि इम्र्पोटेंट ग्रह है यानि कि नपुसंक ग्रह है, हरित वर्णी है। जितनी भी वनस्पतियां आप आसपास देखते हैं उनमें जो हरा रंग है उन्हीं की वजह से मौजूद है यानि कि उनके कारकाधिपति होते हैं। मैं बात कर रहा हूं बुध ग्रह की, जिनके उपासक देव हैं विनायक। आप जब विनायक की उपासना करते हैं तो बुध ग्रह की शांति का भी कार्य एक तरह से करते ही करते हैं। बुध जैसा मैंने आपको बताया कि इम्र्पोटेंट प्लेनेट है, इसके साथ में ही ग्रहों के बीच एक सेतु बनाने का कार्य भी करते हैं। सेतु कैसे? जब सूर्य के साथ